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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५४३

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जाती। लीस ४३०२ लुविका (को०)। ३ किमी मशोन, ताले या घडी श्रादि मे लगा वह लुज-वि० [ मं० लुआन ( = काटा, उपाटा)] १ दिना हाय पुग्जा जो किसी दूसरे पुरजे को उठाता गिराता है को०)। पैर का । जिसके हाथ पैर बेकाम हा ना हो । लॅगटा नूगा । लीस-सज्ञा पुं० [अ० लीज ] जमीन या दूसरी किसी स्थापर मपत्ति 3 - अयो, पहियो गाय गा मन मारि गोन्हा हम । के भोगमात्र का अधिकारपत्र जो किसी का जीवनपर्यत या -मूर (शब्द०)। २ गिना पने ना पेटा। उ०—पान निश्चित काल के लिये दिया जाय । पट्टा । जैसे,—(क) वितु योन्हें ऐगी भानि गन न परत न वीर जमे रजत १९०३ मे निजाम ने सदा के लिये अंगरेजी सरकार को बरार नुज हैं। -पसार ( गन्द०)। का लीम लिख दिया । (ख) यह अपना मकान लीस पर देने लुटक-T पुं० [सं० तुण्टक ] एक शार [को०)। वाला है। लुटा सडा गो० [म० नुगटा] १ चोरी । नृट । २ बाटना । छन । क्रि० प्र०-देना।-लेना ।—लिखना। [को०)। लुग-सज्ञा पु० [ सै० लुट ग ] मातुलग वृक्ष । मुटाक'-वि० [सं० नुण्टाफ ] [वि० ० नुको ] गाना लुगा- सज्ञा पुं॰ [देश॰] १ पजाब मे वान रोपने की एक रीति । तृट गिराना | का मारनमाना। माच । २ दे० " गाडा'। लुटाफ'- पु० १ ना । तस्कर । २ पार । गोपा] । लुगाडा- सज्ञा पुं० [ देश शोहदा । लुगाडा। लुटि-जा मो० [ मं० तु ण्ट ] ६० 'लु छ कि । लुगी'—सना स्त्री० [ वरमी । मि०हिं० लंगोट या लांग ] १ योती के लुटित-वि० [सं० लु गठन ] 70 "उठेन' Fool स्थान पर क्मर मे लपेटने का छोटा टुकडा । तहमत । लुठ-सशा पुं० [ म० नुएठा ] चार । तुटेग। विशेप-इस देश में मुपलमान, मदरामी और बरमी लोग इग लुठन-11 . [ सं० एटन ] [विगत ] १ नुना। २ प्रकार कमर मे कपडा लपेटते हैं, जिसमे पीछे लाग नही बांधी लूटना । नुराना। लुटनाल-मि० म० [ म० लुगठन लूटना । कि० प्र०-बाँधना । -मारना। लुंठा-मग मी० [ से० नुण्ठा ] ३० "जुटा' oि | २ कपडे का टुव डा जो प्राय खारए का होता है और जो हजामत लुठोक सगा पुं० [ मै० नुराक ] 20 'सुटा' । वनाते समय नाई इसलिये पैर पर प्रागे डाल देता है जिसमे लुठि- TU सी० [सं० सुरेट ] चोरी । लूटपाट (को०] । वाल उमी पर गिरें। ३ लाल रग का एक मोटा कपडा । लुठी-रका पी० [म० नुगठी) १ पा: । नाटना । २० "तु। ३ ढकना । तुटपने तो क्रिया या भाव (को०] । लुगी- सज्ञा सी० [ दश० ] एक बड़ी चिडया । -मझा पुं० [ म० नुए चोर । विशेप-यह हिमालय के जगलो मे कुपाऊ मे लेकर नै गाल और लुई-नशा पुं॰ [ मं० रा ] बिना गिर पाघः । श्या ।। भूटान मक, तालो के किनारे पाई जाती है। इसकी लवाई मवा उ०-तुम मुड पिन ब-यो प्रनय । तव पाट लिए युग या डेढ़ हाथ क लगभग और श्रावति मोर को मी होती है। सला - विश्राम (०)। इसका अगला भाग काला और लाल होता है। सफे' नित्ति में लुडमुड-१० [सं० २८+रट ] १ जिमा पिर, हाथ, पर भी होती हैं। चोच भूरे रंग को होतो है। जाडे के दिनो यापि वटै हो, कल घर का लोयडा नग हो। पिना मे यह मैदान मे उतर प्रात' है और कीडे मकोडे साकर रहती हार पर का। गया लूना । ३ विना पन का हूँ । (पड)। है । कुनो की सहायता म लोग इसका शिकार करते हैं। ४ योही गठरी की तरह लोटा दुग। लुगुप-सज्ञा पुं० [ म० लुड गुण ] नीबू । छोला [को०] । लु डा'-वि० [ मे० डि [२० पी० अन्ना १ जिमकी लुच, लुचन-सज्ञा ॰ [ मे० लुञ्च, तुञ्चन ] १ चुटकी में पककर पूंछ यौर प झड गए हो या उवाड नए गर हो । (पक्षी)। झटके के माथ उखाडना। नोचना । उत्साटन । जमे,-केश २ जिगकी पूछ पर बात 7 हा । (11)। लुचन । २ जैन यतियो की एक क्रिया जिममे उनके सिर के लु डा-सज्ञा पुं० [ म० गडका ] साफ किए हुए नपेटे मूत की वाल नोचे जाते है। ३ काटना । तरागना। अलग करना । पिडी । तुकडी। दूर करना । लु डिका-सज्ञा ग्री० [ म० लुण्डिका ] १ न्यायमारिणी । सदाचार । क्रि० प्र०-करना ।—होना । सद्व्यहार । २ पिरी । युक्डी पो०)। लुचना-सज्ञा स्त्री॰ [ स० लुचना ] सक्षिप्त भापण [को०] । लुडो' -१० ग्री० [हिं० नुस] जिम्की पूछ या पर भड़ गए हो । लुचित्त-वि० [म० लुञ्चित ] उसाडा हुआ । नोचा हुआ । उत्पाटित । लुडी'मा पी० [सं० चण्डिका] लपटे हुए मूत को पिंडी या गोली। लुचितकेश-सज्ञा पुं० [ म० लुञ्चित केश ] जैन यति, जो अपने लु डी- सा रती [सं० लुरडी] न्यायसारिणी । विवेकपूर्ण व्यवहार । सिर के बाल नोचे रहते हैं। सद्व्यवहार किो०] । लुचित मूर्धज-वि० [ स० लुञ्चित मूर्धज ] दे० 'लुचित केश' [को॰] । लु विका-सहा रसी० [ स० लुम्विना ] एक प्रकार का वाजा । खारुवा।