पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५४२

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लीलहि ४३०१ लीवर co eo O HO स० उ०- राचमद्र कटि सो पट वाँध्यो । लीलयव हर को धनु विशेप प-राम और कृष्ण इन दो प्रधान अवतारो मे राम मर्यादा- साध्यो। केशव (शब्द०)। पुरुषोत्तम कहलाते हैं और कृष्ण लीलापुरुषोत्तम । ल लहिए-क्रि० वि० [हिं० लीला ] खेल खेल मे । बिना प्रयास के । लीलाब्ज-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० ] दे० 'लीला कमल' [को॰] । सहज मे । उ०—(क) अति उतग गिरि पादप लीलाहं लेहि नीलाभरण सज्ञा पुं० [ स० ] केवल लीला वा शौक के लिये पहना उठाइ । —मानस, ६।१ । (ख) अति उतग गरु सैलगन लीलहिं हुना गहना [को०] । लेहिं उठाइ । —तुलसी (शब्द॰) । लीलामनुष्य-सज्ञा पुं० [ ] छममानव । नफली आदमी [को०] । लीलाग-वि० [सं० लीलाग ] सुंदर अंगोवाला [को०] । लोलामय-वि० [ स० ] क्रीडा के भाव से भरा हुआ । क्रीडायुक्त । लीलांचित-वि० [ स० लीलाञ्चित ] रम्य । सुंदर [को०] । लीलामात्र - सज्ञा पुं॰ [ सं० ] खेल कूद । केवल खेलवाड (को०) । लीलावुज-सज्ञा पुं० [स० लोलाम्बुज ] दे० 'लीलाकमल' [को०] । लीलायित-संज्ञा पुं० [ ] १ क्रोडाविनोद । प्रामाद प्रमोद । लीला'-सज्ञा श्री० [ ] १ वह व्यापार जो चित्त की उमग से २ कार्य जो सहजसाध्य हो [को०] । केवल मनोरजन के लिये किया जाय । केलि । क्रीडा। खेल । लोलारति-सज्ञा स्त्री॰ [ ] ग्रामोद प्रमोद । मनबहलाव (को०] । जैसे,-बाललीला। २ शृगार की उमंगभरी चेष्टा । प्रेम का लीलारविद-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० लालारविन्द ] दे॰ 'लीलाकमल' (को०] । खेलवाड । प्रेमविनोद | ३ नायिकाओ का एक हाव जिसमे वे प्रिय के वेश, गति, वाणी प्रादि का अनुकरण करती हैं । ४ लीलावज्र-सञ्चा पु० [ स० ] इद्र के वज्र के समान एक शस्त्र (को०] | क्रीडा करनेवाली। विलासवती। सौंदर्य । सुदरता । (को०)। ५ रहस्यपूर्ण व्यापार । विचित्र लीलावती - वि० सी० काम । जैसे,—यह ईश्वर की लीला है जो ऐसे स्थान मे ऐसा लीलावती'-सञ्ज्ञा सी० १ प्रसिद्ध ज्योतिर्विद भास्कराचार्य की पत्नी सुदर पेड होता है । ६ मनुष्यो के मनोरजन के लिये किए हुए का नाम जिमने लीलावती नाम की गणित की एक पुस्तक ईश्वरावतारो का अभिनय । चरित्र । जैसे,-रामलीला, कृष्ण बनाई थी। पीछे भास्कराचार्य ने भी इस नाम की एक गणित लीला । ७ बारह मात्रामो का एक छद जिसके अत मे एक का पुस्तक बनाई। २ सपूर्ण जाति की एक रागिनी जिसमें जगण होता है । ८ एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण मे भगण, सव शुद्ध स्वर लगते हैं। यह रागिनी ललित, जयतश्री और नगण और एक गुरु होता है । ६ चौबीस मात्रानो का एक छद देशकार से मिलकर बनी कही गई है। कोई कोई इसे दीपक जिसमें ७+७+७+३ के विराम से २४ मात्राएँ और प्रत मे राग की पुत्रवधू कहते हैं । ३ एक छद जिसके प्रत्येक चरण मे सगण होता है। १०,८ और १४ के विराम से ३२ मात्राएँ होती हैं और अत मे लीला-सञ्ज्ञा पुं० [ स० नील ] १ स्याह रग का घोडा । उ०-लोले, एक जगण होता है । ४ दुर्गा का एक नाम (को०) । ५ सुंदरी सुरग, कुमंत श्याम तेहि परदे मद मन रग ।-(शब्द॰) । स्त्री। सौदर्यशील महेला (को०)। ६ कामुकी या विलासप्रिय २ गोदना। औरत (को०) । ७ मय दानव की पत्नी का नाम (को०)। लीला'- वि० नीला । उ.- कटि लहँगा लीलो बन्यो धौ को जो देखि लीलावान् - वि० [सं० लीलावत् ] १ क्रीडापूर्ण । २ सुदर। न मोहे । —सूर (शब्द०)। रमणीय [को०)। लीलाकमल-सज्ञा पु० [ स० ] कमल का फूल जिसे क्रीटा के लिये लीलावापी सज्ञा स्त्री० [स०] जल विहार के लिये निर्मित बावली [को०)। हाथ मे लिए हो। लीलावेश्म -सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० ] लीलागृह । प्रामोदगृह (को॰] । लीलकलह-सज्ञा पुं० [स०] प्रणयकलह । प्यार की लडाई [को०] । लोलाशुक-सज्ञा पुं० [सं०] पालतू तोता [को०) । लीलागृह-सज्ञा पुं॰ [स०] क्रीडागृह । प्रामोदभवन । प्रमोदभवन [को०] । लीलासाध्य-वि० [सं० ] सहज ही होनेवाला । बिना प्रयास किया लीलाचतुर - वि० [स० ] क्रीडाकुशल । सुदर (को०] । जानेवाला (फो०] । लीलातनु-सज्ञा पुं० [ ] खेलबाड के लिये धारण किया हुआ लीलास्थल-सज्ञा पुं॰ [ 10 ] क्रीडा वरने का स्थान । रूप [को०] । लाली-वि० स्त्री० [सं० नील ] नीले रंग की। नीली। उ०-बदन लीलातामरस-सञ्ज्ञा पु० [सं० ] दे० 'लोलाकमल ' [को०] । शिरताटक गंड पर रतन जटित मणि लीली ।-चूर (शब्द॰) । लोलादग्ध-वि० [सं०] विना प्रयास के जला हुया । सहज ही जला लीलोद्यान-सज्ञा पुं० [सं०] १ दववन । नदनवन । २. क्रोडा हुआ को०)। वा खेलकूद का उपवन । श्रामोद प्रमोद करने का वाग [को०] । लीलानटन-सञ्ज्ञा पुं० [ ] मानद मात्र के लिये किया जानेवाला लीव~सशा स्त्री॰ [अ० ] छुट्टी। अवकाश । जैसे,—प्रिविलेज लीव । नृत्य (को०] । फरलो लीव । लीलानृत्य-सज्ञा पुं० [ स० ) दे० 'लीलानटन' [को०] । लीवर-सञ्ज्ञा पुं० [अ० लिवर ] १ यवृत्त । जिगर । विशेष दे. लीलापुरुषोत्तम-तज्ञा पुं० [सं० ] श्रीकृष्ण । 'यकृत' । २. किसी भारी वस्तु को सरलता से उठाने का यत्र HO म०