पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५४८

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- लुलन ४३०७ लूका बच्चा दिए थोडे ही दिन हुए हों । उ-लाहिली लीली कलोरी लुहुरी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ सं० लघु, हिं० लहुरा ] छोटे कानोवाली भेंड । लुरी कहँ लाल लुके कहाँ भाग लगाइक । केशव ( शब्द० (गडेरिए)। लुलन--सञ्ज्ञा सं० [ स० ] [ वि० लुलित ] लटकते हुए इधर उधर लूंगा-सज्ञा पु० [ स० लवण, प्रा० लूण ] नमक । लवण | हिलना डोलना । प्रादोलित होना । मूलना। लूंबरी-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० लोमडी ] दे० 'लोमडी' । लुलना-क्रि० प्र० [सं० लुलन ] लटकते हुए हिलना डोलना। लू-सज्ञा स्त्री॰ [ सं० लुक (= जलना), हिं० लो (= लपट)] गरमी के झूलना । लहराना । दोलित होना । दिनो की तपी हुई हवा । गरम हवा का लपट या झोका । लुलार-सञ्ज्ञा पु० [सं०] महिष । भैसा [को०] । तप्त वायु। यौ०-लुलापकद = महिषकद । लुनापकाता = भैस । क्रि० प्र०-चलना।-बहना। लुलाय-सज्ञा [ स ] दे० 'लुलाप' (को०] । मुहा०-लू मारना या लगना = शरीर मे तपी हवा लगने से ज्वर यौ०-लुलायकद = महिषकद । लुनायकाता । लुलायकेतु । आदि उत्पन्न होना। लुलायकाता-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं० लुलायकान्ता] भैम । लूक' १-सञ्ज्ञा पु० [ स० लुक ] एक प्रकार का जलता हुआ पिंड जो आकाश से गिरता हा कभी कभी दिखाई पडता है। टूटा लुलायकेतु सज्ञा पुं॰ [सं०] शिव का एक गण (को॰] । हुआ तारा । विशेष दे० 'उल्का' । उ०—(क) दिन ही लूक परन लुलित-वि० [सं०] १ लटकता पा झूलता हुअा। पादोलित । २ विधि लागे।—मानस, ६॥३१ । (ख) लूक न असनि केतु नहि छिनराया हुआ । अस्तव्यस्त (को०) । ३ लटका हुा । बिखरा राहू।-मानस, ६।३१ । हुआ । जैसे, केश । ४ कुचला, दबा या चोट खाया हुआ (को०) । ५ थकामांदा । क्लात (को०)। ७ सुदर । शानदार (को॰) । लूक'-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स० लुक (= जलना)] १ अग्नि को ज्वाला । प्राग की लपट । २ पतनी लकही जिमका छोर दहकता हुअा हो। यौ० - लुलितकुडल = हिलते हुए कुडलोवाला। लुलितपल्लव = जलती हुई लकडो। लुत्ती। उ०-दोउ लियो ठोक विचारि, हिलते हुए पत्तोवाला। लुलितमहन = अस्तव्यस्त पाभरण- इक लूक लीन्हो वारि । -रघुराज (शब्द०)। वाला। मुहा०-लूक लगाना = जलती लकडी या वत्तो छुनाना । आग लुवारी-वि० [हिं० लू ] गरमी के दिनो की तपी हुई गरम हवा । लगाना । उ०-मारि मुलुक मे लूक लगायो।-लाल (शब्द०)। तप्त वायु। लू। ३ गरमी के दिनो की तपी हवा । तप्त वायु का भाका जो क्रि० प्र०-चलना। शरीर में लपट की तरह लगे। लू । उ०-ए व्रजचद । चलो किन लुशई-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ देश० ] एक प्रकार की चाय जो आसाम और वा ब्रज, लुके बसत की ऊकन लागी।-पद्माकर (शब्द०)। कछार मे होती है। ४ टूटा हुआ तारा । उल्का । लूक । उ०-सुमिरि राम तरराक लुशभ-सञ्ज्ञा पुं० [ स० ] दे० 'लुषभ' [को०] । तोय'नधि लक लू 6 सो पाया।-तुलसा (शब्द॰) । लूकट-सच्चा पुं० [हिं० लूक ] जलता हुई लकहा । लूक । लुकाठी । लुप-सज्ञा पुं० [स० ] निषाद और चाणकी से उत्पन्न सतति [को०] । लूकना-क्रि० स० [हिं० लूक+ना ] आग लगाना । जलाना। लुपभ-सज्ञा पुं० [स०] मत्त वारण । मस्त हाथी (को०] । उ -हिय अदर रावरो मदिर है तोह या विरहानल लूकिए लुस्त-सज्ञा पुं॰ [सं० ] धनुष का छोर या सिरा (को०] । ना।-(शब्द०)। लुहँगी f-सञ्चा स्त्री० [सं० लोहाङ ग_] लोहा जडी हुई लाठी। ऐसी लूकना-क्रि० अ० [सं० Vलुक् ] दे॰ लुकना' । उ०-चूकि लाठी जिसके माटे सिरे पर लोहा जड़ा रहता है । लोहबदा । केते रहे, धूकि केते गए चूकि कते दए, सूाक केते चहे। -सूदन लुहना-क्रि० अ० [सं० लुभन ] लुभाना। ललचना। माहित (शब्द०)। होना । उ०-अरि के वह पाजु अकेली गई खरिक हरि के लूका-सया पुं० [ गुन रूप लुही।—देव (शब्द॰) । स० लुक (= जलना)] [ स्त्री० अला० लूको ] १. अग्नि की ज्वाला। आग की लो या लपट । उ०-नखत अका- लुहनी-सज्ञा पुं॰ [ दश० ] एक प्रकार का अगहनी धान जिसका सहि चढ़े दिपाई। तत तत लूका परहिं दिखाई।-जायसी चावल बहुत दिन रह सकता है। (शब्द०)। २ चिनगो । चिनगारी। स्फुलिंग। ३ पतली लकडी लुहार-सञ्ज्ञा पुं० [सं० लौहकार, प्रा० लोहार ] [ लो० लुहारिन, जिसका छोर दहकता हो। लकडी जिसके एक सिरे में आग लुहारी ] १ लोहे का काम करनेवाला। लोहे की चीजें बनाने हो । लुत्ता। वाला । २. वह जाति जो लोहे की चीजें बनाती है। मुहा.-लूका लगाना = प्राग छुनाना । प्राग लगाना । जलाना। लुहारिन-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिंलुहार + इन (प्रत्य॰)] लुहार जाति की स्त्री। मुंह मे लूका लगाना%Dमुंह जलाना। तिरस्कार करना। लुहारी-सज्ञा स्त्री० [हिं० लुहार ] १ लुहार जाति की स्त्री। २ (त्रियो की गाली)। लोहे की वस्तु बनाने का काम । जैसे,—वह लुहारी सीख लूका' -सचा पुं० [ देश०] मछली फंसाने का एक प्रकार का जाल । लूका -सञ्ज्ञा पुं० [ म० लूकस ] वाइविल का लूकस नामक सत |