लेटी लेजम ४३१२ लेजम-सज्ञा स्त्री॰ [ फा० लेज़म ] १ एक प्रकार की नरम और लेटपेट-सका सी० [ रेश० ] एक प्रकार की चाय । लचकदार कमान जिससे धनुष चलाने का भभ्यास किया जाता लेट फी-मशा सी० [अ० } यह फीम जो निश्रित समय के बाद है । २ वह कमान जिसमे लोहे की जजीर लगी रहती है और डाक्याने मे कोई चीज दासिल करने पर देनी पड़ती है। जिससे पहलवान लोग कसरत करते हैं। विशेप-डायमाने मे प्राय मभी कामा के लिये समय निश्रित विशेप-इसे हाथ मे लेकर कई तरह के पैतरों और बैठको के साथ रहता है। उस निश्चित समय के उपरान यदि कोई व्यक्ति कोई कसरत करते हैं। चीज रजिस्टरी कराना या चिट्ठी रवाना करना चाहे, तो उसे प्राइमरी स्कूलो मे भी क्रीडा मे इसको भांजना सिखाया जाता है। कुछ फीम देनी पड़ती है जो लेट फी परलाती है। क्रि० प्र०--भोजना।हिलाना । २ स्कूल, कालेज आदि मे फीम जमा होन को निश्चित तिथि के लेजरग-सचा पु० [ लेज+हिं० रग ] मरकत या पन्ने की एफ रगत वाद उक्त फोरा के साथ देय युछ अतिरिक्त द्रव्य । जो उसका गुण मानी जाती है। लेटर-राग पुं० [अ०] १ वर्ग । अक्षर । २ पत्र । चिट्ठी (पो०] । लेजिम-सज्ञा पुं॰ [फा० लेज़म ] दे॰ 'लेजम' । लेटर वारसा पुं० [अ० लेटर + वाम ] आपणाने का बह लेजिरलेटिव एसेंब्ली - सशा स्त्री॰ [अ॰] दे॰ 'व्यवस्थापिका परिषद्' । रादूक जिसमें कही भेजन मे लिये लोग चिट्ठियां दालते हैं। लेजिस्ले टिव काउसिल-सञ्चा ली. [अ० ] प्रधान शासक या गवर्नर चिट्ठी डालने का गटूक । की वह सभा जो देश के लिये कानून बनाती है । लेटर्स पटेट-मण पुं० [अ०] वह राजकीय प्राज्ञापत्र जिसमें किसी लेजिरलेटिव कौंसिल-सज्ञा स्त्री० [अ० लेजिस्लेटिव काउमिल } दे० को कोई पद या स्वत्र प्रादि देन या कोई सम्या स्थापित करन 'व्यवस्थापिका सभा'। की बात लिसी रहता है। राजकीय प्राज्ञापत्र । शाही फर- लेजुरी -सा स्त्री० [सं० रज्जु,, मागधी प्रा० लेज्जु] १ रस्सी। गान । जमे,-१८६१ में पार्नमेट ने यानून बनाकर महारानी होरी । २ कूएं से पानी खीचने की रस्सी । उ०-लेजुरै भइउँ, को अधिकार दे दिया था कि अपने लेटर्म पेटेंट म बलात्ता, नाथ, विनु तोही।—जायसी (शब्द॰) । बबई, मद्रास और पागग प्रदेशों में हाईकोर्ट स्थापित करें। लेजुरा -सज्ञा पुं० [ मा० प्रा० लेज्जु ] दे० 'लेजुर' । लेटा-सा पुं० [२०] गल्ले का बाजार । मडी। लेजुरा ~ सझा पुं० [ देश० ] एक प्रकार का अगहनी घान जिसका लेटाना-क्रि० स० [हिं० लेटना का प्रेर० रूप इगर फो नेटने में चावल बहुत दिनो तक रहता है। प्रवृत्त करना। लेजुरी -सशा स्त्री॰ [ मा० प्रा० लेज्जु ] दे॰ 'लेजुर' । सयो क्रि०-देना। लेट'-सशा स्त्री० [ देश० ] सुरखी, ककड और चूना पीटकर बनाई हुई लेड-मज्ञा पुं० [अ०] १ मीमा नामक धातु | २ प्राय. दो अगुल कडी चिकनी सतह । गच । चौटी मीने की ढली हुई पत्तर की तरह पतली पटरी जो छापे- लेट-वि० [अ० ] जो निश्चित या ठीक समय के उपरात यावे, रहे साने में अक्षरो की पत्तियो के बीच मे अक्षरों को कार नीचे या हो। जिसे देर हुई हो। जैसे,—यह गाडी प्राय लेट होने से रोकने के लिये दी जाती है। रहती है। यौ०-लेट फी। लेडमोल्ड-मज्ञा पुं० [अ० ] छापेवाने मे अक्षरो को पक्तियो के बीच मे रखने के लिये मोसे की पटरियां ढानने का साचा । लेड ढालने लेट -सञ्ज्ञा पुं० [सं०] मनु द्वारा उल्लिखित एक जाति का का सांचा। नाम । (मनु०)। लेडी-मरा सी० [अ०] १ भले पर की स्त्री। महिला । २ लाई लेटना-'क्र० प्र० [ स० लुण्ठन, हिं० लोटना] १ हाथ पैर और या सरदार की पत्नी । ३ प्रगजी फैशन में बनी हुई मौरत। सारा शरीर जमीन या घोर किसी सतह पर टिकाकर पड रहना । पीठ जमीन या विस्तरे भादि से लगाकर बदन को मारी लेत-सम्मा सं० [सं० ] अश्रु । प्रान किो०] । लयाई उमपर ठहराना। खडा या बैठा न रहना। पौढना । लेथो-सा पुं० [अ० लीथो । दे० 'लीथो'। जैसे,—जाकर चारपाई पर लेट रहो। लेद-सना गु० [ श० ] एक प्रकार का गीत जो फागुन में गाया सयोकि:-जाना ।-रहना । जाता है। २ किसी चीज का बगल की ओर झुककर जमीन पर गिर जाना। लेद-सपा पुं० [अ० लेथ ] सरादने की मशीन । खराद मशीन । मुहा०-खेती लेट जाना = (१) फमल का अधिक पानी या हवा के लेदवा-सज्ञा पुं० [ देश ] खेत मे होनेवाली एक प्रकार की कारण सीधा खा न रहना, झुककर जमीन पर पड जाना। (२) नत होना। विनीत हो जाना। प्रभुत्व मान लेना। गुड लेदार-सशा पुं० [ श० ] एक प्रकार की चिडिया । लेट जाना = ताव विगडने के कारण गुड का गोला और चिप- लेदी-सज्ञा स्त्री० [ दश० । १ जलाशयो के किनारे रहनवालो एक चिपा हो जाना। प्रकार की छोटी चिडिया । उ०-बोलहि मुना ढेक बक लेदी। ३ मर जाना। रही श्रवोल मोन जलभेदी । -जायसी (शब्द०)। २, पास का कवाडी फूट
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५५३
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