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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५५६

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1 लेबरना लेवा निधित्व करता हो। लेबर मैंबर = शासन मे श्रमिक वर्ग का लेरुपारी --सञ्ज्ञा पुं० [हिं० लट + प्रारी (प्रत्य॰)] वह भेंड जिसके प्रतिनिधि सदस्य । लेबर यूनियन = मजदूरो का सघ । गले मे लट लटका रहती है । ( गडरिया )। लेबरना। -क्रि० स० [हिं० लपेटना, लिबडना या लेभरना ] ताने मे लेरुवा-सज्ञा पुं० [ स० लह ] १ बछडा। उ०-(क) जो न मांदी लगाना । ( जुलाहा )। बमी, लोल नैन, लरुवा मरहिं सब खरक खरेई प्राजु सून लेवरर-सञ्ज्ञा पुं० [अ० ] वह जो शारीरिक परिश्रम द्वारा जीविका सुनियतु है ।-केशव (शब्द०)। (ख) लाडिली लाली कलोरी निर्वाह करता हो। मेहनत मजदूरी करके गुजर करनेवाला । लुरी कहँ लाल लके कहाँ अग लगाइ के। आजु तो केशव श्रमजीवा । मजदूर। कैसहु लरुवं लागत देत न कसहूँ आइ के ।-केशव (शब्द॰) । २ शिशु । बच्चा । बाकि । लेवुल-सज्ञा पु० [अ०] पते या विवरण आदि की सूचक वह चिट जो पुस्तको, ओपध आदि की पुडियो, बोतलो या गरियो लेला-सज्ञा पुं॰ [देश०] [ स्त्री० लेली ] १ भेंड या वकरी का बच्चा । आदि पर लगाई जाती है। नामविधि । २ वह जो साथ गा रहता हो। पिछलग्गू' । लेबोरेटरी-सझा स्त्री० [अ०] वह शाला या मादेर जिसमे वैज्ञानिक लेला २-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] कप । कपन (को०] । परीक्षाएं की जाती हो, किसी पाक्रिया की जांच की जाती लेलापमाना-सज्ञा स्त्री॰ [स०] अग्नि को सात जिह्वामो मे एक का हो, अथवा रासायनिक पदार्थ, औषधियाँ इत्यादि बनाई या नाम [को०] । तैयार की जाती हो । प्रयोगशाला । लेलितक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] गधक [को०] । लेमन 1-~-सञ्ज्ञा पु० [अ० । तुल० अ० सोमू ] नीवू [को॰] । लेलिह-सचा पुं० [सं०] १ जू । लोख । २ साँप । यौ०-लेमनचूस । लेमनजूस । लेलिहा-सज्ञा स्त्री० [सं०] तत्र मे अंगुलियो की एक प्रकार की मुद्रा (को०)। लेमनचूस-सझा पुं० [अ० लेमन + हिं० चूसना] नीबू आदि के योग से बनी चीनी की गोलियाँ [को०] । लेलीतक-सचा पु० [स०] लेलितक । गधक (को०] । लेमनेड-सज्ञा पु० [अ०] नीबू का शरबत जो पहले नीबू के रस लेलिहान'-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ सर्प । सांप । २ शिव (को॰) । को शरबत मे मिलाकर बनाते थे, पर जो अब नीबू के सत्त लेलिहान - वि० [ स० ] बार बार जीभ से स्वाद लेनेवाला । को शरबत में मिलाकर बनाते हैं और बोतल मे हवा के जोर चाटनेवाला । से बद करके रखते हैं। विलायती मीठा पानी। (यह प्राय. लेव-सञ्ज्ञा पुं० [स० लेप्य] १ अच्छी तरह घुली हुई मिट्टी या पिसी पाचक होता है । ) हुई प्रोषाधयाँ जो किसी स्थान पर लगाई जायं। लेप । २ लेमर-सज्ञा पुं० [य ०] एक प्रकार का जतु । मिट्टी आदि का लेप जो हडी या और वर्तनो की पेंदी पर, विशेष—यह पेडो पर रहता है और फल, फूल, अकुर, पत्तियाँ, उन्ह आग पर चढ़ाने से पहले, जलाने से बचाने के लिये, किया अड और कोडे मकोडे, जा पेडो पर रहते है, खाता है। पहले जाता है । ३ दीवार पर लगाने का गिलावा । कहागल । मेडागास्कर टापू मे इसका पता लगा था। यह बदरो स मिलता क्रि० प्र०-चढ़ना ।-चढाना।—देना । जुलता होता है। इसकी अनेक जातियो का पता चला है, मुहा०-लेव चढ़ना = मोटा होना । मोटाई पाना । (व्यग्य) । जो अफ्रीका और पूर्वोय टापुत्रो मे फिलिपाइन और सिलीबीज ४. दे० 'लेवा' । तक मिलती हैं। इनके सिवा इसकी एक और जाति है, जो लेवक-सञ्ज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का वृक्ष जिसका लकडी इमारत विना पूछ के होती है और मलाया, बोनिनो, सुमात्रा आदि के काम में आती है। मे मिलती है । इसकी पूछ लवी होती है। इसकी कुछ जातियो लेवड़ा -सन्ना पुं० [हिं० लेव+डा (प्रत्य॰)] १ लेव । लेप । २ क जतुनो को दिन मे दिखाई नहीं देता। पलस्तर। किसो लेप आदि का वह चप्पड जो फूलकर गिरने लेमू-सशा पुं० [फा०] नीबू (को॰] । लगता है। जैसे, लेवडा उखडना । लेमूनी-वि० [फा०] नीबू का । नीयू से युक्त। जिसमे नीवू का योग लेवरना-क्रि० स० [हिं० लेव, या लेवडा ] लेवा लगाना । हो [को०)। कहगिल करना । लेव लगाना । लेय-सझा पु० [सं०] सिंह राशि (को०] । लेवा-सञ्ज्ञा पुं० [सं० लेप्य ] १ गिलावा । २ मिट्टी का गिलावा । लेर-सचा त्रा० [हिं० लहर द० 'लहर' । (लश.)। कहगिल । ३ नाव को पेंदी का वह तख्ता जो सिरे से पतवार लेरुआ-सचा पु० [हिं० लडा | दे० 'लड्डू' । तक लगाया जाता है। ४. ले। ५ पानी का इतना बरसना लेरुमाल-सञ्ज्ञा पु० [देश॰] १ गाय का छोटा बच्चा । बछहा । कि जोतने पर खेत की मिटो और पानी मिलकर गिलावा २. बच्चा। शिशु । उ०-ललन लोने लरुमा बलि मंया । बन जाय। सुख सोइए नीद वेरिया भइ चारु चरित चारपो भैया। क्रि० प्र०-लगना। -तुलसी न०, पृ० २७७ । ६. गाय, भैस भादि का थन ।