पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२४

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एम० एम० मैथ्यू ने 'अग्रेजी कोशो का सर्वेक्षण' नामक अपनी मूलक पद्धति पर बने हैं। वैसी भाषा के कोशो में उच्चारणानुमारी रचना में १५वी शती के दो महत्वपूर्ण ग्रंथों का उल्लेख किया शब्दो का ढूढना अत्यत दुःकर होती थी। परतु योरप की भोपालो में है। प्रथम ‘अोरट्स' का 'वो काव्युलरियम्' था जो पूर्व ‘ मेला’ अका' 1टि क्रमानुसारी एक नई दिशा की ओर शब्दकोशरचना की व्याकरण पर आधारित था । दूसरा था 'अल फंड्स' या 'ज्याफरी' सकेत हुशा । पूर्वोक्त प्रपोरियम के अनतर १५ १६ में प्रकाशित व्याकरण पर अधारित इलिश-लैटिन कोश । इसकी पिसिन विलियम हार्नन को शब्दकोश अग्रेजी लैटिन कोशो में उल्लेख्य है। द्वारा १४४० ई० में प्रथम मुद्रित सस्करण प्रकाशित वि या गया। इसमें व हावतो और सूक्तियों व। प्राचीन पद्धति पर संग्रह था। मुद्रित उसका नाम था प्रोपटीरियम परव्यूलरम सिनवलरिकोरम्' ( अर्थात् को शो में इसका अपना स्थान था। १५७३ ई० मे रिचार्ड बच्चों का भाडार या संग्रहालय )। इसका महत्व--९-१० हाउलेट का 7वेसेडेरियम' और 'जॉन वारेट' का 'लाइब्रेरिया--दो हजार शब्दों के सग्रह के कारण न हो कर इसलिये था कि इमके कोश प्रकाशित हुए । प्रथम में लैटिन पययि के साथ साथ अग्रेजी भै अर्थद्वारा मा ब्द सूची के रचनाविधान में Fए प्रयोग का सवै त दिखाई व थन होने से अग्रेजी को भै--विपत प्राचीन काल के--इसे उत्तम पहा । इसमें सज्ञा र श्रिया के मुरयाश से व्यक्ति अन्य प्रकार और अपने ढग को महत्वशाली कोश माना गया है। इससे भी पूर्व- के शब्द ( अन्य पार्टी से अब पी ) भी सव लित हैं। यह ई० १५७० में 'पीटर लेविस ने एक 'इगलिश इमिग डिव शनरी' 'मैहला प्रामाटिसिज' यदाचित् प्रथम ‘लातीन अग्रेजी' शदकोश बनाई थी जिसमें अंग्रेजी शब्दों के साथ लैटिन शब्द भी हैं और सभी था। लीक यता का प्रमाण मिलता है---सकी बहुत सी उपलब्ध खास पाव्द तुकात रूप में रखे गएँ थे । प्रतिलिपियो के वरिण। १८८३ ई० मे 'वे थोलिश्रम ऐलिस न्' नामक शब्दकोश सकलित हुआ था। परंतु महत्वपूर्ण कोश होकर भी पूर्वोक्त हेनरी अष्ट म की बहन, मेरी ट्रेडर, जव फास के १२वें लुई की का के समान वह लोकप्रिय न हो सका। परन्। वनी तसे उन्हें फ़ासी सी भाषा पढने के लिये जान पाल ग्रे ने एक ग्रंथ बनाया जिसमें फ़सा सी के साथ साथ अग्रेजी शब्द भी थे। इसके पश्चात् १६वं शताव्द में 'लेटिन अंग्रेजी' और 'अग्रेजी १:३० ई० में यह प्रकाशित हुअा । इस कोश को 'अाधुनिक' झासीसी लेटिन' की अनेक शब्दसूचियाँ निमित एवं प्रकाशित हुई । 'सर टामस और आधुनिक अग्रेजी भाष ों के प्राचीनतम कोश कहा जा इलियट' की डिक्शनरी ऐसा सर्वप्रथम ग्रंथ है जिसमें ' टिशनरी' सकता है। गाइल्स ६ गेज ने लेही मेरी को फांसीसी पढाने के अभिधान का अंग्रेजी में प्रयोग मिलता है। मूल शब्द लातिन का लिये १५२७ में व्याकरण रचना की जो पुस्तक प्रकाशित की थी 'डिक्शनरियम्' है जिसका अर्थ था कथन (सेइग) । पर वैयाकरणो द्वारा उसमे भी चुने हुए अग्रेजी और फ्रांसीसी शब्दो का संग्रह जोर दिया 'कोण' शब्द के अर्थ में उसका प्रयोग होने लगा था। इससे पूर्व-प्रार- गया था। भिक शव्दसूचियो और कोशो के लिये अनेक नाम प्रचलित थे, यथा-- रिचर्ड हाउलैट का एबेसेडिरियम १५५२ ई० में प्रकाशित 'नॉमिनल', 'नेमबुक', मेड्ला ग्रामेटिक्स, 'दी अर्ट स वकाव्युलेरियम्, गाईन अफ वहस, दि प्रोम्टोरियम पोरवरम, कैथोलिकम् ऐप्लिव न्, हुआ, जिसे सर्वप्रथम अंग्रेजी ( + लैटिन ) 'डिक्शनरी' कह सकते है । जान वारेट वा केश (एल्बै रिया) भी १५७३ ई० में प्रकाशित हुआ । मैनुशलस थकव्युलरम्, हैंडफुल व वोकैब्युलरियस्, ‘दि ए बेसदेरियम्, रिचार्ड के कोश में अग्रेजी भ पा द्वारा अर्थव्याख्या की गई है । अतः विवलोथिका, एल्वीरिया, लाइब्रेरी, दी टेबुल अल्फाबेटिव ल, दी ट्रेजरी । या ट्रेजरर्स ग्राफ वई स्, ‘दि इलिश एवसपोजिटर, दि गाइड टु दि उसे प्रथम अग्रेजी कोश-- लैटिन अग्रेजी डिक्शनरी--कह सकते हैं । १६वीं शताब्दी मे ही ( १५६६ ई० में ) रिचार्डस परसिवाल ने टग्स्, दि ग्लास ग्राफिया, दि न्यू वल्ड्स् अव व स्, ‘दि इटिमालजिकम्, स्पेनिश अग्रेजी-कोश मुद्रित कराया था। पलोरियों ने भी दि वल्ड्स दि फाइलॉलॉजिकम्' आदि । इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका के अनुसार व दि बडू स नाम से एक इताली-अंग्रेजी कोश बनाकर मुद्रित १२२५ ई० में कटम्य की जानेवाली ‘लातिन' शव्दसूची के हस्तलेख के लिये जान गारलैडिया ने इस ( डिक्शनरी ) शब्द का सर्वप्रथम किया। उसको परिवर्धित संस्करण १६११ ई० में प्रकाशित हुआ । प्रयोग दिया गया था। परंतु लगभग तीन शताव्दी बाद सर टामस् इसी वर्ष रेल काटव को प्रसिद्ध फ्रेंच-ग्रनेज को भी प्रकाशित ईलियट द्वारा प्रयुक्त यह शब्द क्यों और कैसे लेक प्रिय हैं। उठ। यह । हुश्रा जिसके प्रति लोकप्रिय है। जाने के कारण बाद में अनेक कहना सरल नहीं है। सस्करण छपे । केवल अग्रेजीकोण के अभाववश 'पलौरियो' और ‘काग्रेव' के अग्रेजी शब्दसग्नही का अत्यंत महत्व माना गया और १६वी माती में पूर्वार्ध के व्यतीत होते होते यह विचार स्वीकृत । "शेक्सपियर' के युग की भापा समझने समझाने में वह बड। उपयोगी होने लगा कि शब्दकोश में शब्दार्थ देखने की पद्धति सुविघापूर्ण और सिद्ध हुन । सरल होनी चाहिए। इस दृष्टि से कोश के लिये वर्णमालाक्रम से शब्दानु | इसी के आस-पास 'बाइबिल' का अग्रेजी संस्करण भी प्रकाश में क्रम की व्यवस्था उपयुक्ततर मानी गई । पश्चिम की इस पद्धति को | आया। १७वी शताब्दी के प्रथम चरण (१६१० ई० में ) में जॉन महत्वपूर्ण उपलब्धि और कशविद्या के नूतन विकास की नई माह माना मिनृश्यू ने 'दि गाइड इट इन्स' नामक एक नानाभाई कोश का जा सकता है। एकाक्षर श्रीर विश्लेषणात्मक पदरचना वाली चीनी निर्माण दिया जिसमें अंग्रेजी के अतिरिक्त अन्य दस भाषा के (वेल्स, भाषा में एकाक्षर शब्द ही होते हैं। प्रत्येक 'सिलेबुल' स्वतन्त्र, सार्थक शैर लो इच्, हाई डच, फोसीसी, इताल, पुर्तगाली, स्पेनी, लातिन, यूनानी विश्लिष्ट होता है। वहाँ के पुराने कोश अर्थानुसार तथा उच्चारण: और हिड शब्द दिए गए थे।