पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१००

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उपसंयम उपशायक उपशायक-वि० [सं०] क्रमानुसार सोनेवाला । अपनी वारी अाने उपसख्यान---संज्ञा पुं० [सं०] १ योग । २ योग जो पूरक का काम पर सोनेवाल1 [को०)। करे। उपशायी- वि० [सं० उपशायिन] दे• 'उपशायक [को०] । विशेष–वातिककार कात्यायन के वार्तिकों पर प्रयुक्त एक पारि- उपशाल-संज्ञा पुं॰ [सं०]गाँव का चौपाल जहाँ बैठकर पचायत होती। 'गपिक शब्द 'उपसख्यान' है। इन व।तिको क रचना पाणिनी थी या गाँव भर के लोग उत्सव आदि मनाते थे। आए हुए के सूत्रों में न आनेवाले नियम या विधियों के विधान के लिये साधु सन्यासी इसी में बैठकर उपदेश देते तथा व्यास लोग कथा हुई है। ये उन सूत्रों के अागे जोड दिए गए हैं, जिनमें शब्दसद्धि सुनाते थे [को०] । के नियमों का अभाव है। उपशिघन—संज्ञा पुं० [सं० उपशिङ्गन] १ से घना । १ ८ घने की उपसग्रह–सज्ञा पुं० [सं०] १ प्रसन्न रउना।२ रक्षा करना । ३. | वस्तु [को०)। एकत्र करना।४ प्रणतिपूर्वक नमस्कार । चरण छूकर नमस्कार उपशुधन-सज्ञा पुं॰ [सं॰] दे॰ 'उपशिघन' [को०] । करना । ५ विनम्रता के साथ भापण । ६ स्वीकार करना उपशिक्षक---सज्ञा पुं० [सं०] सहायक अध्यापक । नायव मुदरिस (को॰] । (पत्नी के रूप में) । ७ तकिया । उपधान (२० । उपशिष्य--सुज्ञा पुं॰ [स०] शिप्य का शिष्य । चेले का चेला । उपसगत-वि० [सं० उपम इत] १ मिला है। समिलित । २ उपशीर्पक---सज्ञा पुं॰ [सं०] १ एक रोग जिसमे सिर में छोटी छोटी सयुक्त (मैथुन क्रिया के लिये) (को०] । फुसियाँ निकल आती हैं। चाईचूई । २ एक विशेप प्रकार उपसगमन-सज्ञा १० [उपसङ्गमन] १ एकत्र होना। सामूहिक का मोतियो का हार, जिसके बीच में समान प्रकार के पाँच रूप में इकट्ठा होनी 1 २ सभोग ! रतिक्रिया [को॰] । वढे मोती गुथे होते हैं (को०)। मुख्य या प्रधान शोपक उपसगृहीत–वि० [स० उपसङ्ग होत] १ सग्रह किया हुआ । २ के अतर्गत आनेवाले छोटे शीर्षक (को०)। अधिकृत । अधिकार में लाया हुआ (को०] । उपशोभन--संज्ञा पुं० [सं०] सज्जित या अलकृत करना। सजाना उपसघात-सज्ञा १०[स० उपसङ्घात]इकट्ठा करना । जुटाना ] | [को०] । उपसचार–सुज्ञा १० [सं०उपसञ्चार] प्रवेश । पैठ [को०]। उपशोभा--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] अलकरण । साज सज्जा । सजावट उपसवान-संज्ञा पुं० [सं० उपसन्धान] १ जोडना । युक्त करना। (को०)। २ मिलाना [को॰] । उपशोभिका--सच्चा स्त्री० [स॰] दे॰ 'उपशोभा' [को०] । उपसध्य-क्रि० वि० [सं० उपसन्ध्य] सध्या के आसपास। सायंका ने उपशोप–सज्ञा पुं० [सं०] १ सुखाना । २ सूखना [को॰] । के कुछ पहले । . उपशोपण---सज्ञा पुं॰ [स०] दे॰ 'उपशोपण' [को०]। उपसन्यास--सज्ञा पुं० [सं०] १ लैटना। २ त्याग (को॰) । उपश्री-सज्ञा स्त्री० [सं०] ऊपर से ढंक लेनेवाली कोई वस्तु [को०] । उपसंपत् ---संज्ञा स्त्री० [सं० उपसम्पत्, उपसम्पद्] वोद्ध धर्म की उपश्चात--वि० [सं०] १ सुना हुआ । २ प्रतिज्ञा किया हुआ। दीक्षा [को०]। प्रतिज्ञात ! रानी को०] । उपसंपत्ति--सज्ञा स्त्री०म० उपधम्पत्ति १ पास पहुचना । २ अवस्या- उपश्रुति सच्चा पुं० [सं०] १. सुनना । २ श्रवण सीमा जहाँ तक तर में प्रवेश करना को । सुना जा सके । ३ स्वीकृति।४ रात में सुनी जानेवाली दिव्य उपसंपदा-सज्ञा [स्त्री० [सं० उपसम्सदा] बौद्धधर्म की दीक्षा ग्रहण वाणी जिसे देवता द्वारा भविष्यकयन करना कहा जाता है । करना (को॰) । ५ भविष्यकथन । ६ प्रतिज्ञा। वाग्दान । ७. अफवाह । उपसपन्न--वि० [सं० उपसम्पन्न] १ पाया हुअा। लाभान्वित । २ लोकवर्धा। जनरव । ६ अत'मव । ६ एक देवी का पहुचा हुआ। ३ उपचित । सचित किया था । ४ परिचित । नाम [को॰] । ५ पयप्ति । काफी । उपश्रोता- वि० [सं० उपश्रोतृ] सुननेवाला। थोता । पास से सुनने उपसंपादक-संज्ञा पुं० [सं० उपसम्पादक] [स्त्री० उपसंपादिका] १ | वाला झिौ] 1 किसी कार्य में मुख्य कर्ता का सहायक या उसकी अनुपस्थिति उपश्लाघा--सखा ली० [सं०] शेखी । डीग । बढ़ चढकर बातें करना। में उसका कार्य करनेवाला व्यक्ति ।२ किमी पत्र या पत्रिका | अभिमान [को०] । के संपादक का सहायके । उपालप्ट- वि० [सं०] १ पास रखा हुआ। २ मिला हो । ३ उपसभाष--मज्ञा पुं० [सं० उपप्तम्भाप] १ बातचीत । वाणी द्वारा समीवपती [को०] । 'भावो और विचारों का आदान प्रदान । २. मित्रतापूर्ण उपश्लेप-- संज्ञा पुं॰ [सं०] १ सपर्क । २ आलिंगन [को॰] । अनुरोध [को०] । उपश्लेपण–स पुं० [सं०] दे॰ 'उपश्लेप' [को॰] । उपसभापा–संज्ञा स्त्री० [स० उपसम्भापा] दे॰ 'उपसभाप' [को०] । उपब्लाक संज्ञा पुं० [सं०] दशम मनु ब्रह्मसावण के पिता का उपसयत-वि० [सं०] १ विल्कुल मिना हैा या सयुक्त । २. नाम [को०] । निरुद्ध [को॰] । उपसंक्रात-वि० [स० उपसङ्क्रान्त] दूसरी और घूमा या मूड़ा उसयम--सज्ञा ५० [सं०] १ नियंत्रण । निरोध। २ विश्वसहार हुश्रा को०] । प्रलय [को०)।