पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उपसंयोग उपसैवी उपसंयोग-सूज्ञा पुं० [सं०] १. गौण सुवघ । २. रूपातरण । रूप में साँड का गर्भ धारण करने के लिये जाना। २ गाय का परिवर्तन या सुधार कर देना [को०] । पहली बार गर्भ धारण करना (को०] । उपमहसुज्ञा पुं॰ [स०] १ सय साथ बढना । सहवर्धन । २ उपसरण-- सेवा पु० [सं०] १ किसी के पास या किसी की तरफ । शोषण । सोखना [को॰] । जाना । २ वह जिसके पास शरण पाने या रक्षा करने के लिये उपसवाद--सज्ञा पु० त०] समझौता । ऐकमेत्य [को॰] । जाया जाय । ३ (बीमारी की हालत रक्त में) का हृदय की उपसवीत--वि० [सं] १. ढका हुआ । २ लपैदा हुआ ।[क] । और तेजी से बहन (को०] । उपसव्यान-सज्ञा पुं० [सं०] भीतरी पहनावा 1 अतर्वस्त्र किये। उपसर्ग सञ्चा पू० [सं०] १ वह शब्द या अव्यय जो केवल किसी उपसंस्कार-सज्ञा पुं० [३०] १. प्रमुख संस्कारों के अतिरिक्त किए शब्द के पहले लगता है और उसमें किसी अर्थ की विशेषता जानेवाले गौण संस्कार । २ सज्जित करना । सजाना ३ ला देता है । जैसे अनु, प्रव, अप, उद् इत्यादि । २ अशकुन । पवित्र करना (को०] । ३ उपद्रव । देवी उत्पात । ४ योगियों के योग में होनेवाला उपसस्कृत--वि० [सं०] १. प्रस्तुत । तैयार । २. सज्जित 1 सजा विघ्न, जो पांच प्रकार का कहा गया है-प्रतिभ, श्रावण, हुआ । ३ भरा हुअा [को०] । देव, भ्रम और प्रवर्तक । (मार्कंडेय पुराण०)। ५ ग्रहण उपसहरण-संज्ञा पुं० [सं०] १. पीछे हटाना। २ अस्वीकार करना । (को०)। ६. मृत्यु का लक्षण (को०)। ७ भूत प्रेत आदि नामजूर करना । ३. अलग करना। ४ अाक्रमण करना । दुष्ट आत्मा का अधिकार (को०) । ८ दु ख । व्यया (को०)। चटाई करना [को॰] । उपसर्जन-सच्चा पृ० [सं०] १ ढालना । २. दैवी उत्पात । उपद्रव । उपसंहार-संज्ञा पुं० [सं०] १ हरण । परिहार २ समाप्ति । ३. अग्रधान वस्तू ! गौण वस्तु ! ४. त्याग ।। खातमा । जैसे—गुरु जी, कृपाकर हमारे भ्रम का उपहार उपसर्पण---संज्ञा पुं॰ [सं०] १ पास जाना । अागे वढना (को०] 1 कीजिए । ३. किसी पुस्तक का अतिम प्रकरण। किसी पुस्तक उपसवनाएं-क्रि० अ० [सं० अप +सादन या उप+ सुव] हंट के अत का अध्याये जिसमें उसका उद्देश सक्षेप में बतलाया। जाना । दूर चला जाना। उ०- पवन वाँधि उपसवहि अकास। गया हो । ४ साराच { निचोड । ५ किसी दाँवपेंच या मनसहि जहाँ जाहि तेहि पास --जायसी ग्र० (गुप्त), हथियार की रोक 1 महार । ६ किसी पुस्तक या लेख का पृ० ३२८ । अतिम अज्ञ (को०) । ७. विनाश । घ्वस । नाश (को०)। ६ उपसागर--- सेवा पुं० [सं०] छोटा समुद्र का एक भाग । खाडी । समाप्ति । अत (को॰) । उपसदिन--सा पुं० [सं०] १ अादर । श्रद्धा । २ अादरपूर्वक पास उपसहारों-वि० [सं० उपसहारिन्] १ उपसंहार करनेवाला । जाना। ३ जिम्मेदारी लेनी । मारे ग्रहण करना । २. ग्रहण किया हुआ । ३ समझा हुआ । ४, पृथक किया उपसाना--क्रि० म० [हिं० उपसना] बासी करना । सडाना । हुश्री झिो०] ! उपसिक्त--वि० [सं०] सीचा हुअा। भीगी हुअा। प्राई [को॰] । उपसहारी-सज्ञा पुं० [सं०] न्याय शास्त्र के अनुसार एक हेतु ।। उपसीर--संज्ञा पुं० [सं०] खेत जोतने का हल [क]। उपसहित--वि० [स०] १. मिला हुआ है संयुक्त । २ सुवद्ध ३ धिरा उपसु द-सा पुं० [स०उपसुन्द] सुद नामक दैत्य का छोटा भाई हुअा [को॰] । | और निकुम दैत्य का पुत्र (को०] ।। उपसंहृति-सुज्ञा स्त्री० [सं०] १. समझ । वुद्धि । फहम । २ ग्रहण । उपसूतिका--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] घाय । घाई । धात्री [को॰] । | ३ अत । परिपूर्णता । ४ निवृत्ति को०] । उपसूर्थक--संज्ञा पुं॰ [सं०] १ एक प्रकार की भौंरा । २ जुगनू । ३. उपस—संज्ञा स्त्री॰ [म०प+वास = महँक] दुर्गध । बदबू । सूर्य मडल [को०] । उपस क्त--वि० [सं० उप + सक्त] १. लगा हुआ । सलग्न ) २ सप्ट-वि० [म०] १. लिया हुअा। प्राप्त २. प्रेत, भूत अादि दुष्ट असक्त कि॰] । झारमाग्री द्वारा पराभूत या अधिकृत । ३ ग्रहण किया हुआ । उपसत्ति---संज्ञा स्त्री० [स०] १ सबंध । भेल । २. सेवा । ३ पूजा । ग्रस्त [को०) ।। ४ पारितोपिक । मॅट । ५ सूचना कौ० ।। उपसेक--सज्ञा पुं० [सं०] १ सोचना 1 २ छिडकाव । छिड़कना। उपसना- क्रि० स० [हिं० उपस +ना (प्रत्य॰)] १ दुगंधित होना ।। ३ रस । जूस [को०] 1 २ सुडना। उपसेचन-संज्ञा पुं० [त०] १ सोचना या भिगोना । पानी छिड़कना। उपसम –सच्ची पु० [सं० उपशम] दे॰ 'उपगम' । उ०-नेह न देह २. गीली चीज । रसा। ३ वह गीली चीज जिससे रोटी या गेह सन कवटू। उपस म चिंतन समता संबहू' ।—नंद॰ ग्र०, भात खाया जाय । जैसे, दाल, कडी, सालन इत्यादि । पृ० २१२ ।। उपसेवन–मुज्ञा पुं॰ [सं०] १. पूजा करना । पूजन ! २ सेवा उपसयना -क्रि० अ० [सं० अप+ सर् या उप+सद् हिं॰] करना । ३. व्यवहार में लाना। आनंद लेना ४ अनुभव हटना । गायव होना । उ०—बहुरि न जान दहु का भई, दहू करना को । । कविलास कि कहू उपसई ।—जायसो ग्र ० (गुप्त), पृ० २५७ । उपसेवी-वि० [सं० उपसेक्नि] १ अस्याने उपसर-सवा पु० [सं०] १. (गाय की तरह जाना । गाय के पास सेवा करनेवाला [को०] ।[[category:हिंदी शब्दसागर द्वितीय भाग]