पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१२

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धृ० ० (उ०) पृथ्वीराज रासो [४ खड ], सुं० कविराज विल्ले० मोहनसिंह, साहित्य संस्थान, राजस्थान विश्व विद्यापीठ, उदयपुर, प्र० स० बिहारी र० पोद्दार अभि० ग्र० पोद्दार अभिनंदन ग्र० स० वासुदेवशरण अग्रवाल, विल भारतीय ब्रज साहित्यमइल, विहारी (शब्द०) मथुरा, इं० २०१० बी० रासो प्रताप ग्र० प्रतापनारायण मिश्र प्र थावली, सं० विजय कर मल्ल, ना० प्र० सभा, वाराणसी, वीसल० रास प्र० स० बी० श० महा० प्रताप (ब्द०) प्रतापनारायण मित्र प्रवध प्रवधपद्म, 'निराला', गगा पुस्तकमाला, बुद्ध च० । लखनऊ, प्र० ८ ० प्रमावती प्रभाबती, 'निराला',अरस्वती भडार, लखनऊ, वृहत् . प्र० स० बृहत्साहिता (शब्द०) प्राण प्राणसगन्दी, संपा० सत सपूरणसिंह, वेल वेनी ( प्राब्द०)। बेडियर प्रस, इलाहाबाद, प्र० स० बेला प्रा० भ० १० प्राचीन भारतीय परंपरा और इतिहास, डा० राव राघव, आत्माराम ऐंड मस, दिल्ली, प्र० ३, स०, १०५३ ई० प्रिय प्रियप्रवास, अयोध्यासिंह उपाध्याय'हरिऔध', हिंदी साहित्य कुटीर, बनारस, पप्ठ स० प्रिया (शब्द०) प्रियादान प्रेम० प्रेमपथिक, जयशंकर प्रमाद, भारती भडार, ब्रजे० ग्र०, लीडर प्रस, प्रयाग, तृ० सं० प्रेम और गोक, प्रेमचंद और गोर्की, चपा० प्रचीरानी गुहूं, ध्रुजमाधरी० राजकमल प्रकाशन लि०, बबई, १९५५ ई० प्रेमघन॰ प्रमुघन सर्वस्व, हिंदी साहित्य संमेलन, प्रयाग भक्तमाल (प्र०) प्र० स०, १६६६ वि० प्र० स० (शब्द॰) । प्रेमसागर । भक्तमाल, (श्री०) प्र मार्जाल में माजलि, ठा० गोपालशरण सिंह, इंडियन प्रेस लि०, प्रयाग, १६५३ ई० फिसाना० फिसाना ए आजाद चार भागप० रतननाय भक्ति ‘सरशार,नवलकिशोर प्रेस, लखनऊ,चतुर्थ स० फुनो० फूलो का कुर्ता, यशपाल, विप्लव कार्यालय, भवित १० लखनऊ, प्र० स० वगाल वगान का काल,हविश राय बच्चन', भारती भडार, इलाहाबाद, प्र० स०, १९४६ ई० भस्मावृत० घाँकी०ग्र० वाँकीदास ग्र० वाँकोदाच ग्रंथादली [तीन भाग], सपा० राम नारायण दूगड, ना० प्र० सभा,काशी, प्र० स० मा० इ० रू० वंदन वदनवार, देवेंद्र सत्यार्थी, प्रगति प्रकाशन, दिल्ली, १९४९ ई० वद बदमाशदर्पण, तेगअली, भारतजीवन प्रस, भा० प्रा० लि० वनारस, प्र० स० वर्गदरा बगेदरा विल्लेसुर बकरिहा, निराला, युगमंदिर, उन्नाव, प्र० सं० विहारी रत्नाकर, जगन्नाथदास 'रत्नाकर गंगा ग्रंथागार, लखनऊ, प्र० स० कवि बिहारी वीसलदेव रासो, सः सत्यजीवन वर्मा, ना० प्र० सभा, काशी, प्र० स० वीसलदेव राम, स० माताप्रसाद गुप्त, प्र० स० वीसवीं शताब्दी के महाकाव्य, डा० प्रतिपालसिंह ग्रोरिएटल बुकडिपो, देहली, प्र० स० दुद्धचरित, रामचद्र शुक्ल, ना० प्र० सभा, वाराणसी, प्र० स० बृहत्साहित बृहत्सहिता कवि वेनी प्रवीन वेला, 'निराला', हिंदुस्तानी पब्लिकेश से, इलाहावाद, प्र० म० देलि क्रिमन रुक्मिणी री, स० ठाकुर रामसिंह, हिंदुस्तानी एकेडमी, इलाहावाद, प्र० स०, १९३१ ई० ब्रजविलास, सं० श्रीकृष्णदास, लक्ष्मी वेंकटेश्वर प्रस, बंबई, तृ० स० । इजनिघि प्रधावली, स० पुरोहित हरिनारायण शर्मा, ना० प्र० सभा, काशी, प्र० स० प्रजमाधुरी सार, स० वियोगीहरि, हिंदी साहित्य संमेलन, प्रयाग, तृ० स० भक्तमाल, टीका० प्रियादास वेंकटेश्वर प्रस. ववई १६५३ वि० भक्तमाल, श्री भक्तिसुधाविद् स्वाद, टीका० सीतारामशरण, नवलकिशोर प्रस, लखनऊ, द्वि० स०, १६८३ वि० भक्तिसागरादि, स्वामीचरण, वेंकटेश्वर प्रस, वदई, सावत् १९६० वि० भक्ति पदार्थ वर्णन, स्वामी चरणदास, वेंकटेश्वर प्रस, ववई, सं० १९६० भस्मावृत चिनगारी, यशपाल,विप्लव कार्यालय, लखनऊ, १६४६ ई० । भारतीय इतिहास की रूपरेखा, जयचट्ट विद्यालकार, हिंदुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद, प्र० स०, १९३३ ई० मारतीय प्राचीन लिपिमाला, गौरीशकर हीराचद ओझा, इतिहास कार्यालय, राज़ मेवाडू, प्र० सं०, १९६५१ वि०