पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१३४

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६४६ ॐ॥ २ जोर से (शब्द करना) । ३०-अवसर हाय रे हैं हारयो। गयो भयो ने अतिम स्वाद । मई वनारसि की दशा जथा ऊँट हरि भजु विलंब छाडि सूरज प्रमु ऊँचे टेरि पुकारघा । को पाद --अर्घ०, पृ० ५४ । ऊँट के मुंह में जीरा= | सूर (शब्द॰) । अधिक भोजन करनेवाले को स्वल्प सामग्री देना। बडी मुहा०—ऊँचे नीचे पैर पड़ना= व्यभिचार मे फँसना ।। जरूरत के सामने स्वल्प सामग्री की व्यवस्या । ऊँट निगल विशेप-बड़ी बोली में वि० 'नीचा' से क्रि० वि० 'नीचे' तो बनाते जायें, बुम से हिचकियाँ = दावा वडी बडी बातों का और हैं। पर 'ऊँचा' से 'ऊंचे' नहीं बनाते। पर ब्रज भापा तया और व्यवहार में उलझन तनिक सी बात पर । २ ऊँट मक्के को मौर प्रांतिक वौलियों में इस रूप का क्रि० वि० की तरह प्रयोग भागता है= स्वभाव अादत का शिकार होना । ऊँट वैल वरावर मित्रता है। का साथ= वेमेल साय । अनमेल गति । उ०—कैंट बैल ऊँचो -वि० [स० उच्च] दे० 'ऊँचा'। उ०—ऐसो ऊ चो दुरग का साय हुअा है। कुत्ता पकडे हुए जुवा है |----राधना महावली को जामैं, नखतावली सो बहस दीपावली करति है । पृ० ७२ ।। -भूपण में 2, पृ० १२ । केंटकटारा--सज्ञा पुं० [सं० उष्ट्रकण्ट] एक कैंटीली झाडी जो ॐछ-सज्ञा पुं० [दश०] एक राग का नाम । उ०--ॐछ अडाने के। जमीन पर फैलती है। सुर सुनियत निपट नाप की लीन् । करत बिहार मधुर केदारो विशेष—इसकी पत्तियां मंडभाँउ की तरह लपी लवी और सकल सुरन सुख दीन |--सूर (शब्द॰) । काँटेदार होती हैं । इलियों में गडनेवाली रोईं होती है । ॐछना--क्रि० अ० [स० उच्छन = बीनना] कवी करना । ऊँट कटारा ककली और ऊसर जमीन में होता हैं । इसे ऊँट--- सज्ञा पुं॰ [सं० उष्ट्र, प्रा० उट्ट] [स्त्री० ऊँटनी] एक ऊँचा । चौपाया जो सधारी और बोझ लादने के काम में आता है । केंट बड़े चाव से खाते हैं । इसकी जड़ को पानी में पीस कर पिनाने से स्त्रियों को शीघ्र प्रसव होता वै । इस को कोई कोई विशेप–यह गरम यौर जलशून्य स्थानों अर्थात् रेगिस्तानी मुल्को बलवर्द्धक भी मानते हैं। में अधिक होता है। एशिया और अफ्रीका के गरम प्रदेश में पर्याय--अँटकटीरा, ऊँटकटेला, कटालु, करमादन, उत्कटक, सर्वत्र होता है । इसका आदि स्थान अरव और मिस्र है । इसके शृगार, तीक्ष्णाग्र । विना अरववालो की कोई काम नहीं चल सकता। वे इसपर ऊटकटाल -सज्ञा पुं० [हिं० टकटारा] दे० 'ऊँटकटारा' । उ०-- सवारी ही नहीं करते बल्कि इसका दूध, मास, चमडा सव दूजा दोव चोवडा, ऊँट कटलउ खाँण, जिण मुख नागर काम में लाते हैं। इसका रग भूरा, डील बहुत ऊँचा (७-८ बैलियाँ, सो करउ केकाण । ढोला०, दू० ३०६ । फूट), टाँगें और गरदन लवी, कान और पूछ छोटी, मुंह लवा ऊँटकटाला -सुज्ञा पु०[हिं० ऊँटकटारादे० 'अँटकटारा' । उ०—और होठ लटके हुए होते हैं। ऊँट की लवाई के कारण ही मन गमता पाया नहीं ऊँटकटाला खाइ।--डोला०, ६० ४२७।। कभी कमी लवे आदमी को हुँमी में ऊँट कह देते हैं। ऊँट दो ऊँटकटरा-सज्ञा पुं० [हिं०] १० 'ऊँटकटारा' ।। प्रकार का होता है-एक साधारण या अरबी और दूसरा ऊँटनाल-सज्ञा स्त्री० [हिं० ऊँट +नाल] छोटी तोप जो ऊँट पर से बगदादी । अरवी ऊँट की पीठ पर एक कूव होता है । ऊँट चलाई जाती है । उ०---जगी जामग त्यौं चल ऊँटभारी बोझ उठाकर सैकडों कोस की मजिल ते करता है। यह नाले ।—पद्माकर ग्र०, पृ० १० ।। विना दाना पानी के कई दिनों तक रह सकता है। मादा को ऊँटनी—संज्ञा स्त्री० [सं० उष्टी] मादा ऊँट (को०] । ऊँटनी या सडनी कहते हैं। यह बहुत दूर तक बरावर एक यौ०-ऊँटनी सदार= साँडनी सवार। सदेशवाहक । हरकारा । चाल चलने से प्रसिद्ध है। पुराने समय में इसी पर डाक ऊँटवान--संज्ञा पुं० [हिं० ऊँट वान (प्रत्य॰)] ऊँट चलानेवाला । जाती थी । ऊँटनी एक वार मे एक वच्चा देती है और ऊँठपु–सुज्ञा पुं० [हिं०] १० 'कॅट' । उ०—तोप हजार पचीस री, उसे दूध वहुत उतरता है। इसका दूध वहुत गाढा होता है। | भार तणां सो ॐठ ।-रा० ६०, पृ० २७२। और उसमें से एक प्रकार की गध आती है। कहते हैं, यदि ऊँडा --संज्ञा पुं॰ [स० कृड] १ वह बरतन जिसमें धन रखकर यह दूध देर तक रखा जाय तो उसमें कीड़े पड़ जाते हैं। 'भूमि में गाड़ दें। २ चवच्चा। तहखाना । उ०—(क) है। मुहा०-ऊँट किस करवट बैठता है= मामला किस प्रकार निवटता | कोई मुसलमान समझावै । ई मन चंचल चार पाहरू छूटा अथवा वया नतीजा निकलता है। ऊँट की कौन सी कल हाथ न आवै । जोरि जोरि घन झंडा गाडे जहाँ कोई लेन न सीपी = वेढग के काम मे कहीं भी सलीके का न होना। पावै ।-कवीर (शब्द०) । (ख) ॐडा चित्तरू सम दशा ऊँट से आदमी होना= वैढ़गे से सलीकेदार होना । उ०—जो साधगण गमीर । जो धोखा विरचे नहीं सोही सत सधीर -- कहीं छह महीने हमारी जूतियाँ सीधी करो तो कैट से मादमी कवीर (शब्द०)। । बन जामो [---फिसाना०, मा० १, पृ० ७ । ऊँट की चोरी ऊँडा–वि० गहरा । गभीर। उ०—-(क) ऊँडा पाणी कोहरई बल और के झुके = छिप न सकनेवाली वात को छिपाने का चढि जाइ निढ़। मारवणी कई कारण देस अदीठा दिट्छ । यन । ऊँट के गले में बिल्ली वाँधना=ऐसा जोड वैठा देना ढोला०, ६० ५३३ । (ख) कस्तूरी कडे मरी, मे नी उडे ठाँय । जिसका कोई मेल ही न हो । १. ऊँट का पाव होना= दरिया छानी 'क्यो रहै, साख भरे सर्व गाँय ।—दरिया । बेफायदा वाव । निरर्थक वात् । १०-करनी को रस मिठि बानी, पु० ३९ ।