पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/१७४

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तेरे एक लड़का है--तब एकः बालकः अस्ति तेरे एक लड़की है-ते एका बलिद' अस्ति तेरे चार गएँ हैं- चतसः गानाः सन्ति ‘ार' शब्द में 'ने' विभङ लगती हैं, तत्र 'आप' छ ‘अ’ हैं। जाता है-अपने- अए तो भाई, ए ही लइ है। अपने तो इन के दः से चार लड़के हैं। अपचं एक रहे हैं, चार से हैं। सत्र अपने रूट है । इस तरह के, ३, ने, ये तीनो सम्बन्ध-विभक्ति हैं । दिशा-न्त्रक झब्दों के यच में भी ये चिनक्तियाँ लगती है-- राम के दाहिनी ओर रिवन्द हैं। सावित्री के बाई और उस का भाई है । उन लड़कियों के दाहिनी ओर उनकी अध्यापिका हैं। राम के दाहिनी वश में दोविन्दु बैठा है। २ॐ अगल-इल उस के दो लड़के हैं २r के बगल में ईई रविन्द का घर हैं । सर्वत्र “के है । ‘बगल' शब्द यदि दिशा-वाचक न हो, तो विभक्ति नहीं,

  • म्बन्ध-प्रत्यय लगेगा-इम की बगल में फोड़ा हो पाया है। इस कई

वालों से बदबू आती है। उपनिकहनः इ, तो भंः के’ विभक्ति ग्राएगी, 'तेरे एक लड़की हुई राम के एक लइक्क हुश्रा’ ! अन्यत्र भी, जद्द 'के' नै रे' रूप सदर अपरिवर्तित रहें, समझ लीजि सि सम्बन्ध-विभक्ति है। उदाहरणार्थ- लड़की के चपत लगाती है । वह ‘म’ ‘लड़की' तथा चपत तीनों स्त्री-लिङ्ग एकवचन ; पर 'के' देखिए क्या है ! सम्बन्ध-विभक्ति है । संस्कृत में जैसे कभी- ' पद्धी होती हैं, उसई तरह यहाँ गइ कर ( ‘लड़क' में के' विनर ली है। इन आदि की अनुपस्थिति में भ‘ना सड़क के लाती है। इस के लो । इत्यादि । ।