पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/२८८

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कौन-कौन बाएँ गे? या फिर जोर शन्द से-- कौन लोग माएँगे? यदि रूया एक ही बक्षलानी होः परन्तु भादर के लिए बडबडन करता हो, तो विरुक्ति नहीं होती; शाम शा शब्द मी साथ नहीं रहता; केवल सामान्यज्ञानार्थक ई से मिनाशक भिन्न है, कि यह श्रादि शब्दों के इस उम्र में लानी है-- सी में रख दो इसी ने कहा था। बना यह 'ई' अवधारणामही माविमा-विताका रूप है। इन में साधारण प्रयोग, 'उसी में अवधारणा के साथ। इसी में --उसी पर नादि को बिराबरी स बाहर किसी ने की को' आदि शब्द-याच किमी और सेंधा नमक को मिली न समझ बैठना चाहिए। स्वाद (अर्थ) देखो।

  • कोऽपि का कोई है। यानी 'कोई में ई अवधारमार्थक हा' शव्यय

का समान्तर नहीं है। सामान्य ज्ञान विवक्षित है, विशेष का पता नहीं ! कोई के को को कित हो जाता है, विभक्ति श्रागे अाने पर। बागे है ही। किस ई = किसी किसी को की, या ऊर कहा चा चुका है। तद्धित प्रत्यय-किस का' । 'कुछ तथा 'स्या के प्रयोग विविध श्रों में विविध रूप से होते हैं। परन्तु इन के स में कोई परिवसन नहीं होता और सभी कारकों में इन के रूप नहीं चलदे ! विशेष रूप से कुछ समों का विचार है स्थिति क्या से क्या हो गई यो इन के भी प्रयोग होते हैं। यहाँ अतिरिक्त संख्या- वाचक है और क्या प्रकारचानक । क्या से स्या' अथ ली से 'या' और 'कुछ' सर्वनाम ; तो अव्ययकल्प' सर्वनाम है और अध्याय है, तो सर्वनाम-प्रतिरूपक अध्यय है। दोनों का मतलब एक कि