पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/३७३

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( ३२८ ) रूप में प्रयोग होता है-उपकृतं बहु तत्र किमुच्यते !' हिन्दी में दोनो शब्द विकसित हो कर आए हैं । ‘भूत’ के ' को अलग कर के मारवाड़े आदि में ‘भोर’ रूप चलता है-“भोत खा गयो'-बहुत खा गया ! वहाँ बहुत का भी ‘भोत होता है--‘भोत अादमी--बहुत अादमी | हिन्दी ( राष्ट्रभाषा) में “प्रभूत” का “बहुत’ हुअर ( ‘ब्र’ का लोपः ‘ऊ’ को ‘उ' और 'भ' से 'बु’ को अलग कर के अकारान्त-“बहुत’। ‘बहुत पढ़ा“प्रभूतं पठितम् । संख्या-वाचक बहु' शब्द के अन्त में ‘त' का आगम कर के ‘बहुत’ । ‘बहुत आदमी आए।' यो शब्द-भेद है ।। | परन्तु इस प्रासंगिक चर्चा का यह मतलब नहीं कि सदा संश-विशेषणों में और क्रिया-विशेषणों में शब्द-भेद होता ही है ! ऐसी बात नहीं है। वही शब्द प्रयोग-भेद से कहीं संज्ञा-विशेषण, कहीं क्रिया-विशेषण और कहीं ‘प्रविशेषण' ।। १-मीठे फल हमें दो { “मीठे फलों का साधारण ( उद्देश्यात्मक विशेषण )।) २---फल मीठे हैं। ( यहाँ “मीठे फलों का विधेयात्मक विशेषण है । ) ३–लेड़ की मीठा गाती है। ( ‘मीठा' क्रिया-विशेषण । ) इसी तरह अच्छा' आदि समझिए । “ल की अच्छी भीठा गाती है में अच्छा प्रविशेषण् । “मीठा' विशेषण है, उस' का विशेषण “अच्छा' । या फिर 'अच्छा' भी स्वतन्त्र क्रिया-विशेषण-‘लड़की अच्छा गाती है, मीठा गाती है । “अच्छा' का अर्थं संगीतशास्त्र का अनुसरण आदि । “मीठा अलग चीज है। लड़की ने अच्छा गाना दाया' में 'अच्छा' शब्द गाना ( गीत ) का विशेषण है । ऐसा गीत गाया, जिस का भाव बहुत अच्छा था- कोई किसी तरह की अश्लीलता जैसी दुर्गन्ध उस में न थी। परन्तु ‘लड़की ने माना अच्छा गाया में अच्छा क्रिया-विशेषण है---माने ( क्रिया } की विशेषता बतलाता है । ‘अच्छा लड़का गा रहा है। मैं अच्छा लड़के का विशेषण है। क्रिया-विशेषण का प्रयोग हो गा-लड़का अच्छा गा रहा है।