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सामान्य परिचय
१९ प्रयाग-समाचार (१९४०; देवकीनंदन त्रिपाठी)
२० ब्राह्मण (कानपुर १९४०; प्रतापनारायण मिश्र)
२१ शुभचिंतक (जबलपुर १९४०; सीताराम)
२२ सदाचार-मार्त्तड (जयपुर १९४०; लालचंद शास्त्री)
२३ हिंदोस्थान (इँगलैंड १९४९; राजा रामपालसिंह, दैनिक)
२४ पीयूष-प्रवाह (काशी १९४१; अंबिकादत्त व्यास)
२५ भारत-जीवन (काशी १९४१; रामकृष्ण वर्मा)
२६ भारतेंदु (वृंदावन १९४१; राधाचरण गोस्वामी)
२७ कविकुलकंज-दिवाकर (बस्ती १९४१; रामनाथ शुक्ल)

इनमे से अधिकांश पत्र-पत्रिकाएँ तो थोड़े ही दिन चलकर बंद हो गईं, पर कुछ ने लगातार बहुत दिनों तक लोकहित-साधन और हिंदी की सेवा की है, जैसे––बिहारबंधु, भारत-मित्र, भारत-जीवन, उचितवक्ता, दैनिक हिंदोस्थान, आर्यदर्पण, ब्राह्मण, हिंदी-प्रदीप। 'मित्र-विलास' सनातनधर्म का समर्थक पत्र था जिसने पंजाब में हिंदी-प्रचार का बहुत कुछ कार्य किया था। 'ब्राह्मण', 'हिंदी-प्रदीप' और 'आनंद-कादंबिनी' साहित्यिक पत्र थे जिनमें बहुत सुंदर मौलिक गद्य-प्रबंध और कविताएँ निकला करती थीं। इन पत्र-पत्रिकाओं को बराबर आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। 'हिंदी-प्रदीप' को कई बार बंद होना पड़ा था। 'ब्राह्मण' संपादक पं॰ प्रतापनारायण मिश्र को ग्राहकों से चंदा माँगते-माँगते थककर कभी-कभी पत्र में इस प्रकार याचना करनी पड़ती थी––

आठ मास बीते, जजमान। अब तौ करौ दच्छिना दान॥

बाबू कार्तिकप्रसाद खत्री ने हिंदी संवादपत्रों के प्रचार के लिये बहुत उद्योग किया था। उन्होंने संवत् १९३८ मे "हिंदी-दीप्ति-प्रकाश" नाम का एक संवादपत्र और "प्रेम-विलासिनी" नाम की एक पत्रिका निकाली थी। उस समय हिंदी संवाद-पत्र पढ़नेवाले थे ही नहीं। पाठक उत्पन्न करने के लिये बाबू कार्तिक-प्रसाद ने बहुत दौड़धूप की थी। लोगो के घर जा जाकर वे पत्र सुना तक आते थे। इतना सब करने पर भी उनका पत्र थोड़े दिन चलकर बद हो गया।