पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१३६

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भमिका L १०. । सोलहवीं शताब्दी में, हिन्दुओं , सुखदेव हैं, जिनके सवन्ध में जीवनीकार प्रियादास ने एक विशेष लेख दिया है । नाभाजी, जीवनी-- सम्बन्नी कविताओं के रचयिता जो भक मालका मूल पाठ हैं : वल्लभ और दादू , प्रसिद्ध सांप्रदायिक गुरु और कवि के बिहारी सतसई १ के. प्रसिद्ध रचयिता : गंगादास, विद्वान का शास्त्री, तथा अन्य अनेक । उत्तरी भारत के मुसलमान लेखकों में, अन्य के अतिरिक्त, हैं, अकबर के मंत्री, अबुलफ़ज़ल औौर रोशनियों या जलालियों ( प्रकाशितों ) के संप्रदाय के गुरु, बायज़ोद अंसारी । दविठन के लेखकों में हैं । : अफ़ज़ ( मुहम्मद ), जिन के संबंध में जीवनीकार कमाल का कथन है :‘उनकी शैली परिमार्जित नहीं है, क्योंकि जिस युग में उन्होंने लिखा,. उस समय रेख़ता कविता का अधिक प्रचार नहीं था, श्रौर उन्हें दक्खिनी में लिखने के लिए बाध्य होना पड़ा था ' : गोलकुंडा के बादशाह, मुहम्मद कुली कुतुबशहजिन्होंने १५८२ से १६११ तक राज्य किया, और जिनके उत्तराधिकारीअब्दुल्ला कुतुबशाह हुएजिन्होंने हिन्दुस्तानी साहित्य को विशेष रूप से प्रोत्साहन प्रदान किया। सत्रहवीं शताब्दी के लिए युग जिसमेंविशेषतः दक्खिभ में, वास्तविक उर्दू कविता का, निश्चित सिद्धान्तों के अंतर्गत सृजन प्रारंभ हुआ हिन्दी कवियों में, मैं सूरदास, तुलसी-दास, और केशवदास, आाधुनिक भारतवासिओं के प्रिय तीन कवियों, का उल्लेख करना चाहता हूं, जिनके संबंध में कहा गया है : ‘-दास सूखे हैं , तुलसी, शशि केशवदास, उड़गन के अन्य कवि खद्योत हैं जो इधरउधर चमकते फिरते हैं।’’ १ इन व मैन्न व्यक्तियों के संबंध में, वही रचनाएँ देखिए। वे इस महत्वपूर्ण उद्धरण का पाठ देखिए, सेरो ‘दीम द ल लाँग तेंदुई। का पृ० ८।