पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१३९

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११२ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास ममनूनअत्यन्त प्रसिद्ध सामयिक लेखों में से एक, तथा अन्य अनेक है। नाम दिए हैं जिनका उल्ले मैंने अपने प्रारमिक भाषणों में लिया है । दक्खिनी में मैं अपने को हैदराबाद के कमाल, और मद्रास के, सुस्तान के उल्लेख तक सीमित रखना चाझता हूँ । मूल जीवनीलेखकों ने जिस ढंग से उल्लिखित कवियों के बारे में कई है यदि ईम वास्तव में उसकी ओर ध्यान दें तो वे हमें बड़ी सरलतापूंर्व वीन प्रकार के मिलेंगे : वे कवि जिनका केवल उल्लेख कर दिया गया है, के जिनका उस रूप में उंल्लेख हुआ है जिसे मैं चादरपूर्वक कहूंगा, औौर वे जिनका अत्यन्त आदरपूर्वक उल्लेख हुआ है, इस भोईभाड़ में मु. सामान्य अभिव्यंजनाएँ प्रदान करते हैं। पहले भाग में मैं : उन लेखकों को समझता हूं जिनके संबंघ में कोई विस्तार नहीं दिया गयाकभीकभी उंनके नाम और उनके जन्मस्थानऔर उनकी कविता के एक उद्धरण का उसूखेड़ हुआ है । ये वे लोग हैं जो गजलों की केवल एक ऐसी संस्था के रचयिता है जो दीवान में संग्रह ीत करने के लिए यथेष्ट नहीं हैं, श्रथ बिनकी ऐसी अन्य कर्मािताएँ हैं जो किसी विशेष शो से बात नहीं हैं । दूसरे में, मैं उन लेखकों को रखता हूँ जो, विषय के अनुसार, ‘दीवान’ या कुल्लियात’ नामक कवितों के कसी ग्रह के रचयिता हैं । अंत में तीसरे भाग मेंयदि हिन्दी में ग्रन्य हैं तो लमंग सदैव संस्कृत में, याहैं वे उर्दू या दक्खिनी में हैं तो फ़ारसी और साथ ही आरबी में, विशेष शीघ्रकों वाले १, या गद्यग्रंथों के रचयिता आाते हैं । मूल जीवनी लेखक प्रायःऔर कभीकभी मैंने उनके उदाइरण दिए हैं, उर्दू लेखकों द्वारा रचित फ़ारसी रचनाओों का भी उल्लेख कर देते हैं, श्रौर यह जान कर किसी को कोई आश्चर्य न होना चाहिए कि बहुतसे हिन्दुस्तानी कवियों ने फ़ारसी :मंत्रियों की, और साथ ही इस पिछली भाषा में ग्रंथों की रचना को इस सिलसिले में याद रखिए कि रंसीन