पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१६२

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अजन मल - १. जप जी’ या गुरु मंत्र, अर्थात् दीक्षा संबंधी प्रार्थना 1 वह नानक की देन है और उसमें पौरी ( Pauri ) नामक चालीस श्लोक हैं । वह नानक और उनके शिष्य अंगद में एक प्रकार का संबद है । २. ‘सोडर रैन रास१सिक्खों की संध्याकालीन प्रार्थना । नानक उसके रचयिता हैं किन्तु रामदास, अर्जुन और कहा जाता है, स्वयं गुरु गोबिंद ने उसमें कुछ अंश जोड़े हैं । ३. कीरित सोहिल, सोने जाने से पहले की जाने वाली दूसरी प्रार्थना, उसी प्रकार नानक को देन है और जिसमें रामदास, अर्जुन और स्वयं गोविंद द्वारा जोड़े गए अंश हैं। ४. चौथा भागजो ‘आदि ग्रंथका सबसे अधिक विस्तृत भाग है, गुरुओं आर भगतों द्वारा रचित इकतीस भागों में विभाजित है। उनके शीर्षक इस प्रकार हैं : (१ सिरी राग ( २) म (Majh) (३) गौरी (४) आासा ( Assa ) (५ ) गूजरी ( ६ ) देव गंधारी (७) बिहागरा (८ ) बाडहंस ( Wad Han6 ) ( ई ) सोरठ या सोर्स (Sort ) ( १० ) धनाश्री (११ ) जैत श्री ( १२ ) टोडी ( १३ ) बैराडी ( Bairari ) ( १४ ) तैलंग ( १५ ) सोधी ( १६ ) बिलावल ( १७ ) गौड ( १८) रामकली ( १६ ) नट नारायण ( २० ) माली गौरा (२१ ) मारू (२२ ) तोखारी ( Tokhati ) (२३) केदार ( २४ ) भैरों ( २५ ) बसन्त (२६) सारंग (२७) मल्हार १ सोडर एक विशेष प्रकार को पद्य-रचना का नाम है। रैन' ‘रात’ का अर्थ और ‘रास' नाम कृष्ण की लोला को दिया जाता है। २ ‘कोरित' ( कोर्ति से ) का अर्थ ‘प्रशंसा, और ‘सोहिल’ -प्रसन्नता का गाना ।