उर्दू या मुसलमानी हिन्दुस्तानी में भी लिखा है । कोलब्रुक ने 'डिसटेंशन ऑन दि संस्कृत ऐंड प्राकृत लैंग्वेजेज"(संस्कृत और प्राकृत भाषाओं पर प्रबंध)में और डॉक्टर गिलक्राइस्ट ने अपने हिन्दुस्तानी व्याकरण में उनका उल्लेख किया है । वे 'पद्मावती' शीर्षक काव्य के रचयिता हैं। यह हिंदुई छंदों और आठ चरणों के पदों में चित्तौड़ की रानी पद्मावती की कथा है,जिसकी नागरी अक्षरों में(लिखी गई) एक अत्यन्त सुंदर प्रति ईस्ट इंडिया हाउस के पुस्तकालय में है। अपने पृष्ठों की प्रत्येक पीठ पर चमकीले चित्रों से सुसज्जित वह ७४० फोलिश्रो पृष्ठों की एक सुन्दर जिल्द है। इसी पुस्तकालय में फ़ारसी अक्षरों में (लिखित) लगभग ३०० छोटे फोलिओं पृष्ठों की एक और प्रति है। इस प्रति में अत्यन्त सुन्दर रंगीले चित्र हैं। पेरिस के राजकीय पुस्तकालय में भी नागरी अक्षरों में (लिखित) एक प्रति है।(मूल के द्वितीय संस्करण में यह फारसी अक्षरों में लिखी कही गई है-अनु०)। लीड (Leyde) के पुस्तकालय में कैथी-नागरीअक्षरों में एक और प्रति है,जो विलमेट (Wilmet) पर आधारित है (इस पुस्तकालय के सूचीपत्र की सं० १३४ और १३५)।अन्य पुस्तकालयों और संग्रहों में उसकी अन्य अनेक प्रतियाँ मिलती हैं क्योंकि उसकी हस्तलिखित प्रतियाँ दुष्प्राप्य नहीं हैं;उसके अनेक संस्करण हैं जिनमें से एक की सूचना मेरठ के २३ अगस्त,१८६६ के'अखबार-इ अालम'में निकली है; एक उसका फारसी अक्षरों में है,३६० अठपेजी पृष्ठ,लखनऊ,१२८२(१८६५),आदि। इसी विषय पर फारसी में लिखी गई रचनाएँ हैं,किन्तु वे
१.बि०७, “एशियाटिक रिसर्चेज' का पृ० २३० २.पृ. ३२५ (मूल के द्वितीय संस्करण में, पृ० ५२५.) ३.पद्मावती,या पद्मावती (फारसी लिपि से) ४.जाँती संग्रह ( Fonds Gentil),नं०३१