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' तुका राम [६३

अन्य के अतिरिक्त उन्होंने संशोधन किया है: ‘बैताल पचीसी'का,रचना जिसके संबंध में उनका उल्लेख सुरत और विला पर लेख में किया गया है। ये बाबू १८३४ में जीवित थे,और मंत्रीरूप में उनका कलकत्ता स्कूल बुक सोसायटी से संबंध था।'हिन्दी ऐंड हिन्दुस्तानी सेलेक्शन्स, जिसके तैयार करने में उन्होंने सहायता प्रदान की और जो १८२७ और १८३० में कलकत्ते से प्रकाशित हुआ, मूलतः गिक्राइस्ट द्वारा संपादित हुआ था,और उसकी छपाई कोर्ट विलियम कॉलेज तेज की अध्यक्षता में १८०१ में प्रारंभ हो गई थी।'

            तुका राम
            

सामान्यतः‘सरवान' के नाम से ज्ञात एक हिन्दी लेखक हैं । वे राजा शिवाजी के समय में जीवित थे। उनका जन्म १५१० शक-संबन् ( १५ ) और मृत्यु फागुन (फरवरीमार्च) ३, १५७१ शंक-संवत् (१६४६) में हुई । दिल्ली में स्थित,उनकी समाधि फागुन के महीने में तीर्थस्थान बन जाती है । ‘कवि चरित्र' में,जनार्दन ने उसकी निम्नलिखित रचनाओं का उल्लेख किया है:

१.‘सत्ताईस ‘अभंग; २. ‘सिद्धिपाल चरित्र’―सिद्धिपाल की कथा;

१.‘कलकत्ता रिव्यू’,१८४५,अंक ७ (No,VII) २.भा०‘दों के राम’(‘तुका’को ‘तुक' शब्द ही मान लेने पर) ३.यह शब्द मिश्र हो सकता है और जिनका एक दूसरे के समान अर्थ है।तो वह बना हैं संस्कृत शब्द‘सर’,‘स्वर, गाने का स्वर,गाना,आदि के स्थान पर और वान'―‘बान’के स्थान पर से,फ़ारसी शब्द जिसका शब्दार्थ है।‘रक्षक’और जो कई शब्दों से मिल कर बना है।