पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२९२

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निवृत्ति नाथ [ १३७ में हुआ और जिन्होंने ईश्वर की प्रशंसा में कविताएँ लिखी हैं ।' उनका उल्लेख ‘कवि-चरित्र’ में हुआ है.। निवृत्ति नाथ ज्ञानी ( Gaini ) नाथ के शिष्य, जनार्दन रामचन्द्र जी द्वारा अपने ‘कधि चरित्रशीर्षक तज़किरा में उल्लिखित हिन्दी के ग्रंथ कार हैं, और जिनके कई ग्रंथ हैं । वे शक-संवत् १२२० ( १२६८) में मृत्यु को प्राप्त हुए । निश्चलदास ’ वेदान्त-दर्शन पर, विच्यार सागर-विचारों का समुद्र -—के रचयिता हैं : बंब हूं, १८६८, २३६ चौपेजी पृष्ठ। नीलकण्ष्ट शास्त्री गो’ ( पंडित tcheniah ) बनारस के, जिन्होंने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है, जैसा कि उनका ईसाई नाम प्रकट करता है, रचयिता हैं : १ ‘ष दर्शन दर्पण’-छः दर्शनों का दर्पण -शीष के अंत गत१८६ में कलकत्ने से मुद्रितदो जिल्लों में एक महत्वपूर्ण हिंदी रचना के, I अठपेज १५२ और १७६ ४० अर्थात् भारतीय घट दर्शन की परीक्षा, जिसका प्रसिद्ध भारतीयविद्याविशारद फ़िज़ एड बर्ड हॉल (Fit Edvard Hall)ने ‘A Rational Refutation १ ईश्वर, जिनसे साथरणतः शिव का अर्थ समझा जाता है। । से भा० ‘विश्राम ड भा० ‘न हटने बालो ( पृथ्वों, दैवोझूत ) का दास ४ ‘नीलकण्ठ-नोलो गईन-म हादेव था शिव का, उनसे संबधित एक कथा के आधार पर, एक नाम हैं : ‘मास्त्री' या ‘शास्त्रो' का अर्थ है शास्त्रों के आदेशों में विश्वाली, ‘ट्टर, और गोरे,' औों फ्रिट्ज़ पडबर्ट हॉल ने मुझे बताया है कि यह व्यक्ति के कुटुत्र का नाम है। ।