पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३०३

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१४८ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास आते देखातो उसने उनसे पूछा कि आप ऐसी कीचड़ में अपने पैर किस प्रकार सूखे रख सकीं । सीता ने उत्तर दिया कि मेरे पति अपने कन्धों पर लाए हैं। ये शब्द सुनते ही, बनिया घर से बाहर आाया, नौर पीषा के चरणों पर गिर पड़ा, फिर अन्दर जाकर वह सीता के चणों पर भी गिरा और कहा ३ 'मI, अपने घर लौट जाओो 1 आप केसथ इस प्रकार का व्यवहार कर मैंने महान् अपराध किया है ।' एक दिन जब पीपा के घर में कुछ खाने को न था, वे बाजार गए, वहीं उन्हें एक तेलिन मिलो जिसने अपने से खरीदने के लिए उन्हें उसनने की कोशिश की। किन्तु उन्हें उससे पहले रामनाम लिवाना चाहा, ताकि जिंस कार्य के लिए उसने प्राथन की थो, वह कार्य पूर्ण हो । तेलिन को क्रोध आ गया और उसने अत्यधिक प्रकट की । पीपा ने उससे कहा : अच्छी बात है जत्र तेरा पति मरेगा, और लू सती होगी, तब तू चिलाएगी हे राम t स्त्री ने कहा : तुम मुझे चिढ़ाते हो, तुम स्वयंजो ऐसी बुरी बात कहते हो, मर जानो ।’ पीठ इस उत्तर से बड़े दुःखी , और यह सोचने लगे कि यह स्त्री अपनी गलती सुधार सकती है। उन्होंने अपने मन में कहा । , यदि इसका पति मर जाय, तो यह राम का नाम लेगी झस घटना का घटित होना ही ठीक होगा ।’ यह सोचने के बाद स्वामी उसके घर में गएऔर तेलिन के मन में बेचैनी बढ़ने लगी। घीया ने तुरन्त उसके पति की आत्मा बाहर कर दी, और अंतिम ..' कियाघों के लिए द्वार खरॉ खुल गया वास्तव में, पति को मरते देर - न तभी । तब तेलिन ने राम की प्रार्थना की । उसके परिवार के सत्र 1 : लोग आंसू बहाने लगे । पुरुष और स्त्री, भाई और बहन, पिता और

माता, सब इंपड़े , पति की लाश लाए, और अत्यन्त दु:ख

प्रकट करते हुए अंतिम कर्म करने लगे हैं तो स्त्री ने सती होने के निश्चय के साथ अग्नि की ओर देखा, और अपने वचन को इ करने का संतघ प्राप्त किया । विविध प्रकार के वाद्य यंत्रों की ध्वनि