पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३२२

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[ १६७ बंसीधर ( पण्डित ) ३४, ‘रेखा गणित सिद्ध फलोदय'ज्यामित के वास्तविक फलों का प्रकटीकरण पंडित मोहनलाल की सहकारिता में 14 ३५. प्रसिद्ध चर्चावली’ - विख्यात लोगों के संस्मरण पच भागों में, उर्दू ‘तज़किरात उलू गशाहिर’ का अनुवादः प्रथम भाग, आगरा१८५,४० अठखेजी पृष्ट द्वितीय भागआगरा१८५६, चित्र सहित १२ अठपेजी पृष्ठ में तीसरा भाग, इलाहाबाद, १८६०, १२७ पृष्ठ के चौथा भागआगरा१८६०, १३० पृष्ठ; पाँचवाँ भाग, नागरा१८५१, ७० पृष्ठ । ३६, ईगलैंडीय अक्षरावली 'अँग्ररेजी वर्णमाला—ढ़की, १८५८१२-६० ५६ पृष्ठ। ३७ गणित प्रकाश के प्रथम भागसातवाँ संस्करण१८६१, इलाहाबाद, अठपेजी 1 दूसरेतीसरे और चौथे भाग श्री लाल के सहयोग से 1 ५५2ष्ठों में, दूसरा भाग (तीसरा संस्करण ) १८६० में बनारस से छपा है ; तीसरा भाग ( तीसरा संस्करण ) आागरे से १८६१ में, ८३ ४० ; और चौथा भाग ( पाँचवाँ संस्करण ) बनारस से, १८६०, ७१ पृष्ठ। ३८. 'पिण्ड चन्द्रिका’ शरीर का चन्द्रमा-; जो. मेरे विचार से, मशीन-सम्बन्धी प्रबन्ध है, आगरा, १८५६, ७ अठपेजी पृष्ठ। ३६. ‘सिद्धि पदार्थ विज्ञान’ मशीन-संबंधी सच्चा ज्ञान के इलाहाबाद, १८६८, १०१ ठपेजी पृष्ठ । ‘पाठक बोधनी'नीति-सम्बन्धी उपदेश - हिन्दी ; ’में आगरा१८५६, ५० अठपेजी पृष्ठ । ४१. जगत् व तान्त' संसार का इतिहास-संक्षेप में प्राचीत इतिहास से हिन्दी में ( दूसरा संस्करण ), प्रथम भाग आगरा, १८६०७२ ठपेजी पृष्ठ । १ मोहन लेख में इसी शोर्षक की एक रचना का उल्लेख देखिए।