पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३५४

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भैरवनाथ [ १६६ ग्रंथों के सूचीपत्र में एक रचना का उल्लेख है जिसका शीर्षक यह है : इकास स्कंध श्री भागवत व ज्ञानमाला कृष्ण व अर्जुन इर शाद करद: । अंत में मैं बाथेलेमी (Saint Barthjterny) के पी० पोल ( P. Paulin ) ने बोर्जिया ( Borgia ) के हिन्- स्तानी हस्तलिखित पोथियों के संग्रह में एक ‘अर्जुन गीत' ( या अर्जुन का गान ) शीर्षक एक ग्रंथ का उल्लेख किया है। किन्तु यदि वह वास्तव में हिन्दुस्तानी में है तो संम्मवतः वह ग्रंथ ‘भगवद्गीता’ का अनुवाद है । लेकिन मेरा विचार है कि वह संस्कृत में है । इसके अतिरिक्त भारत के कैप्यूचिन ( Capucin ) मिशनरी सारकस आ तुम्बा ( iarcus a Tumba ) द्वारा उसका इटैलियन में आनुवाद हो चुका है और इस अनुबाद की हस्तलिखित पोथी उसी बोजिया (Borgia ) के पुस्तकालय में है । ‘भागवद' के नाम से फ्रेंच में भी भागवत का एक अनुवाद है । यह एक तामूल ( Tamoule ) प्रति के आधार पर फ़्शे दो ब्सौंवील ( Foucher d Obsonwille ) द्वारा तैयार किया गया था । । भैर-नाथ' हिन्दी कवि जिनका उत्कर्षकाल शक् संवत् १७०० ( सम् १६२२ ई० ) है, और जिन्होंने १७५६ (१६७८ ई' ) में तेईस अध्यायों में नाथ लीलामृत’ कृष्ण की लीलाओं का अमृत की रचना की । १ मेरे विचार से इकावस के स्थान पर प्रगारह होना चाहिए क्योंकि भागवत में अधिक से अधिक केवल बारह अध्याय है। २ Museei Borgiani clitris codices manuscripti, etc. pag- 15. ३ मा० ‘भगवान् कृष्ण’