पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४८४

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हरीनाथ [ ३२६ . हरीनाथ हरीनाथ जी’ ‘पोथी शाह मुहम्मद शाही, अर्थात् मुहम्मद शाह का इतिहास, के रचयिता हैं जिसकी एक हस्तलिखित प्रति मं० ६६५१ ई ‘अतिरिक्त हस्तलिखित ग्रंथ, पर ब्रिटिश म्यूजियम में सुरक्षित है । हलधरदोस तुलसी कृत रामायणकी बोलीब्रजभाखा कही जाने वाली हिन्दुई के छन्दों , कृष्ण के भतीजे सुदामा की कथा, ‘सुदामा चरित्र’ शीर्षक काव्य के रचयिता हैं। १८६० संबो (१८१२ ई०) में देवनागरी अक्षरों में मुद्रित उसका एक संस्करण उपलब्ध है, ६२ अपेजी पृष्ठ, उसमें स्थान का उल्लेख नहीं है, किन्तु संभवत: कलकत्ले से प्रकाशित हुई है ।* मौंटगोमरी मार्टिन कृत 'ईस्टर्न इंडिया, जि० १, पृष्ठ ४८५ में इस रचना का उल्लेख किया गया है। । हीरा चंद खान जी ( कवि ) बम्बई के, रचयिता या संग्रहकर्ता हैं : १. १८६३ और १८६४ में बम्बई से आठपेजी आकार में अलगअलग प्रकाशितदो भागों में, ब्रजभाखा काव्य संग्रह १ हीनाथ-- हरस्वामी ( विष्णु) २ 'पोतो शाह मुहम्मद शाही' 3 भा० ‘ लधर का दास' । इस शब्द के आधार परजिसका अर्थ है हल धरण करने वाले, कृष्ण के भाई, बलराम का नाम लिया जाता है, जो उनका उपनाम है। ४ मेरे निजी संग्रह में इसकी एक प्रति है । इसी हिन्दी रचना का रेवरेंड जे० ल।ग के (Descript, Catal. ) ( डेसक्रिप्टिव बैग ) में उल्लेख है , कलकत्ता, १८६७ । . & भा० 'हीरा