पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५१२

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परिशिष्ट २ 1 ३७ प्रेम शागर’ ( प्रेम सागर’ ), भबान चन्द्र वासुक द्वारा शुद्ध हिन्दी में अनूदित कलकत्ता१८६७४६२ अठपेजी पृष्ठ । 'बाँसुरी लीला’—बंशी की लीला ( कृष्ण की क्रीड़ाएँ ), हिन्दी में आगरा१८६४, ८ अत्यन्त छोटे बारहपेजी आयताकार पृष्ठ । बारह खड़ी' ( ‘श्री कृष्ण बलदेव जी की’ )—कृष्ण और बल की बारह खड़ी, कृष्ण और बल संबंधी कहानियाँ।-—आगरा १४१. संबतू ( १८६३ ), ८ छोटे बारहपेजो पृष्ठ । ‘बिशन सहस्रनामविष्णु के हज़ार नाम के देवनागरी अक्षरों में लाहौर, कोह:नूर मुद्रणालय । ‘जातियों के संबंध में(On Caste ’, ‘सतमत निर्णय’ अच्छी वृद्धि का प्रमाण-—के आधार पर; हिंदुई में 1-इलाहाबाद७ २४ ५० । भक्त रखने वाले ' भक्तों की ( याद के ) रखवाते, संस्कृत उद्धरणों सहितहिन्दी में । राधावल्लभियों की एक प्रकार की धार्मिक नियमावली ।' भोपाल कृत'—भोपाल का काम-फतहगढ़, १८४० । हिन्दू धर्म पर, बिना किसी विशेष शीर्षक के रचना। मन चेतन’-मन का चिंतन, हिंदुई में 1--श्रीरामपुर । मन लीला’-मन की लीला, कृष्ण की जोड़ाओं से संबंधित हिन्दी कविता |-आगरा१८६४, ३६ अठपेजी पृष्ठ। महादेव चरित्रशिब की कथा; हिन्दी में । व रचना । सहावीर रतव- महावीर की स्तुति संबंधो कविता । संप्रदाय जिसके अनेक अनुयायों विशेषतः झूम्बन और गुजरात के बोच स्थित प्रदेश में पाए जाते हैं-मौंटगोमरी मार्टिनस्टर्न इंडिया , पहली जिन्द, पू० १०६ 1