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भूमिका


'दादा', विशेषतः बुन्देलखण्ड और बघेलखण्ड में प्रयुक्त और स्त्रियों के मुख से कहलाया जाने वाला शृंगारपूर्ण गीत।

'दीप चन्दी', एक ख़ास तरह का गीत, जो होली के समय पर ही गाया जाता है।

'दोहा' या 'दोह्रा' (distique)। यह मुसलमानी कविताओं का 'बैत' है, अर्थात् दो चरणों से बनने वाला दोहा पद्य।

'धम्माल', गीत जो भारतीय आनंदोत्सव-पर्व, जब कि यह सुना जाता है, के नाम के आधार पर 'होली' या 'होरी' भी कहा जाता है।

'धुर्पद', सामान्यतः एक ही लय के पाँच चरणों में रचित छोटी कविता। वे सब प्रकार के विषयों पर हैं, किन्तु विशेषतः वीर-विषयों पर। इस कविता के जन्मदाता, जिसे वे स्वयं गाते थे, ग्वालियर के शासक राजा मान थे।[१]

'पद'। इस शब्द का ठीक-ठीक अर्थ है 'पैर', जिसका प्रयोग एक छन्द के लिए किया जाता है, और फलतः एक छोटी कविता।

'पहेली', गूढ़ प्रश्न।

'पाल्ना'। इस शब्द का अर्थ है जिसमें बच्चे झुलाए जाते हैं, जो उन गानों को प्रकट करने के लिए भी प्रयुक्त होता है जो बच्चों को झुलाते समय गाए जाते हैं।

'प्रबन्ध', प्राचीन हिन्दुई गान।

'प्रभाती', एक रागिनी और साधुओं में प्रयुक्त एक कविता की नाम। बीरभान की कविताओं में प्रभातियाँ मिलती हैं।

'बधावा', चार चरणार्द्धों की कविता, जिसका पहला कविता के प्रारंभ और अंत में दुहराया जाता है। यह बधाई का गीत है, जो बच्चों के


  1. विलर्ड (Willard), 'ऑन दि म्यूज़िक ऑव हिन्दुस्तान', पृ॰ १०७