पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५२३

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३६८ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास उर्दू रूपान्तर दिल्ली को ले के देशी प्रोफ़ेसरों द्वारा हुआ है। भूगोल कूर्माचल-अचल कूर्म पर पृथ्वी मण्डल, एक और भूगोल; हिन्दी में |-आगरा, १८६५, ६४ ० । जे० , ‘कैौग’, १० ४१ । ‘भूगोल विचार '—पृथ्वी मण्डल पर विचार, भूगोल की पुस्तक ; हिन्दुई में |--कलकत्ता । एक अन्य संस्करण बनारस का है। टैंकर ( Cenker ), ‘निबलि नयेका ओरिएंटालिस (Bit liotheca Orientalis )। ‘भूगोल सूचन--भूमण्डल पर विचार, भूगोल-संबंधी रचना ; हिन्दी में |- आगरा । ‘भूपाल बर्णन-सूपाल का इंाल के हिन्दी में 1 मान चरित्र--राजा मान का इतिह्रास । टॉड कृत ‘एनल्स अब राजस्थान' । राज प्रकाश मेवाड़ के राजाओं का इतिहास। टॉड कृत ऐल्स श्र व राजस्थान' । 'राज सभ रंजन ’ -राजा की सभा का चित्रण । १८२८ संवत् ( १७७१ ) के पून ( दिसंबर से जनवरी ) के शु पक्ष की चतुर्दशी को लिखित इतिहास संबंधी छोटीसी पुस्तक । इस जिद में रचनात्रों के कई खएड या भारा हैं । सत्र से बड़े का, जो दस अध्यायों या सर्दी में विभाजित, पूर्ण है, संघ ध, भुरे विचार से, ‘ऐनल्स अब राजस्।न’ में उलिखित, चितौड़ के प्रसिद्ध ज्ञा, हमीर से है! ‘राजाओं का वर्णन’ राजाओं की प्रशंसा (दो राजा)। हिन्दुस्तानी में, नागरी अक्षर । जे० लौंग, ‘कैौग’, ५० २० ।