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लेखक के दयालु मित्रों में से डा० ए० बैनर्जी शास्त्री और डा० सुनीतिकुमार चैटर्जी, जिन्होंने इसके प्रफ देखे हैं और मूल्यवान सूचनाएँ दी हैं, श्रीयुक्त एच० कृतज्ञता-प्रकाश चकलादार और श्रीयुक्त बटकृष्ण घोष, जिन्होंने उद्धरणों का सूल से मिलान किया है, और डा० कालिदास नाग तथा प्रो० अरुण सेन, जिन्होंने इसकी अनु- क्रमणिका तैयार की है, धन्यवाद के पात्र हैं। उसके मित्र स्व० श्रीयुक्त हरिनंदन पांडेय ने उसे हस्तलिखित प्रति प्रस्तुत करने में सहायता दी थी। पटना, नवम्वर १८२४. } काशीप्रसाद जायसवाल ।