पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३५८

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परिशिष्ट ग पहले खंड के अतिरिक्त लोट (१८२४) पृ० ३.अर्थशास्त्र (कौटिल्य)-उसका रचयिता और काल अभी हाल में यह विवाद फिर उठ खड़ा हुआ है कि इस ग्रंथ का निर्माण-काल क्या है। डा. जोली ( Arthasastra of Kautilya, लाहौर, १९२३, प्रस्तावना पृ० १-४७.) ने कह दिया है कि यह प्रायः तीसरी शताब्दी ईसवी का लिखा हुआ एक जाली ग्रंथ है (पृ० ४३-४७.) उन्होंने लिखा है-"हम यह मान सकते हैं कि अर्थशास्त्र की रचना लगभग ईसवी तीसरी शताब्दी में हुई थी। इसका वास्तविक रचयिता कोई कोरा सिद्धांतवादी था और स्वयं कौटिल्य एक कल्पित राजमंत्री था।' (पृ० ४७.) (क) रचयिता हम यहाँ पहले अंतिम सिद्धांत पर विचार करते हैं। इस संबंध में जोली की युक्तियाँ इस प्रकार हैं। (क) कौटिल्य के संबंध में परंपरा से जो विवरण चले आते हैं, वे कौटिल्य को साहित्यिक रचनाओं के रचयिता या शिक्षक के रूप में नहीं मानते। .