पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३९९

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(३६८) गजप; मपक= म. पक; मा (इसे म पढ़िए) शप = मा० सर्प मगच्छ = म. गच्छ; मजुप = म. जुप (यूप) भपंयन (प्लेट २०-२४.) को मैं भंपायन पढ़ता हूँ। पृ० २५४.-५५. देश की अपेक्षा स्वतंत्रता का अधिक प्रिय होना। देखिए मनु ७.२१२. "राजा को अपनी रक्षा के लिये निःसंकोच भाव से अपना देश तक छोड़ देना चाहिए, चाहे वह देश कितना ही अधिक खास्थ्यकर जलवायुवाला, उपजाऊ और पशु, धन आदि से परिपूर्ण क्यों न हो।" (वुहलर) पृ० २५७ का दूसरा नोद-सनकानीक । उदय गिरि के वैष्णव गुहामंदिर मिलसा (ग्वालियर) में गु० सं०८२. (ई० सन् ४०१-२) का एक शिलालेख मिला है जो चंद्रगुप्त द्वितीय के एक मांडलिक सनकानीक महाराज का है। वह एक महाराज का पुत्र और एक महाराज का प्रपुत्र था। Gupta Inscriptions. पृ०२५. पृ० ३००:-(8 १८७) गणों का मानव-विज्ञान । देखोबार० चंद कृत Indo-Aryan Races. (राजशाही, १९१६.) पृ० २४, २५. २४०, २४१.