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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/१०४

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विग्रह होती ही है। राजा : कभी-कभी वाहर से आये हुए भी उपकारी हो जाते हैं । सुनो, मै तुम्हे एक कथा सुनाता हूँ!