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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/१११

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६ नकल का दुष्परिणाम पुण्याल्लब्धं यदेकेन तन्ममापि भविष्यति । . . जो कुछ किसी ने पुण्य से प्राप्त किया, वह सव मुझे भी मिल जाय, यह लोभ मनुष्य को दुखी करता है। o . ० . अयोध्या में चूड़ामणि नाम का एक क्षत्रिय रहा करता था । दुर्भाग्य से वह निर्धन था। अतः उसे सदा धन की ही चिन्ता लगी रहती । एक दिन उसने भगवान् को तपस्या करके धन प्राप्त करने का निश्चय दिया। वह वन में चला गया और आशुतोष भगवान् शंकर की उपासना करने लगा। भोलेनाथ भगवान् थोड़ी-सी ही तपस्या से प्रसन्न हो गए और उन्होने स्वप्न में उससे कहा : क्षत्रिय, मै तेरी इस कठोर तपस्या से प्रसन्न हूँ। तुम्हें धन की कामना है तो तू कल प्रातःकाल किसी नाई को बुला- कर क्षौर आदि कराके अपने नगर की ओर चल देना । मार्ग मे वट-वृक्ष के नीचे तुझे एक संन्यासी जाता हुआ मिलेगा। तू उसे डण्डे से खूब पीटना । ( ११६ ) Ba