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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/१२१

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२ मित्रों का कहा मानो सुहृदां हितकामानां यो वाक्यं नाभिनन्दति। . . ० . जो कल्याण चाहने वाले मित्रों की सलाह नही सुनते वे नष्ट हो जाते है। O . मगध देश में फुल्लोत्पल नाम के तालाब में संकट और विकट नाम के दो हंस रहते थे। इनका कम्बुग्रीव नाम का एक कछुआ मित्र भी उसी सरोवर में रहता था । प्रायः धीवरों के आने की सूचना हंस कछुए को पहुंचा दिया करते । इस भांति कछुआ कठिन समय मे बच जाता था। एक दिन कई धीवर उसी तालाब के पास से जा रहे थे। पानी में खेलती हुई मछलियों को देखकर वे वहीं रुक गए। मछलियों को मोटा-ताजा देखकर उन्होंने अगले दिन वही आने का निश्चय किया। एक ने वल देते हुए कहा : कल प्रातःकाल हम अवश्य ही यहाँ की मछलियों और कछुओं को पकड़ेगे। संकट और विकट ने यही समाचार कछुए और मछलियों को सुना दिया। कछुआ सुनकर बहुत भयभीत हुआ और ( १२६ )