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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/३१

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६ थोड़ा संचय हितकर है कर्तव्यः सञ्चयो नित्यं, कर्तव्यो नातिसञ्चयः . . . सचय करना तो युक्त है, पर अधिक संचय नही करना चाहिये। . . T कल्याण नामक नगर में भैरव नाम का शिकारी रहता था । एक दिन शिकार खेलने के लिए अपने हाथों में धनुष-वाण लेकर वह वन की ओर निकल पड़ा। उसने वन में एक मृग को मारा और उसे अपने कन्धे पर रखकर चल दिया। मार्ग में उसने एक भयानक सूअर देखा। सूअर शिकारी की ओर वता चला आ रहा था। शिकारी ने उसी समय मृग को कन्या से उतारा और तीर चलाकर सूअर को घायल कर दिया। कोच मे भरकर सूअर भी शिकारी पर झपटा और अपने तीखे नागवूनों से उसने शिकारी का पेट फाड़ दिया। शिकारी वही पर गिर पड़ा। सूअर भी तीर लगने से कुछ देर तड़पकर मर गया। दोनों के इस युद्ध में पैरों के नीचे आकर एक सांप भी मर गया। थोड़ी देर बाद दीर्घराव नाम का एक गीदड़ भी उसी गस्ते से निकला । भूख से व्याकुल होकर वह इधर-उधर द्रष्टक रहा था । मरे हुए तीन प्राणियों को एक साथ देखकर वह वाहत