सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/३४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

. 1 ७ युक्ति से कार्य लो उपायेन हि यच्छक्यं न तच्छक्यं पराक्रमः । . . जो कार्य वल अथवा पराक्रम से पूर्ण नही हो पाता, उपाय द्वारा वह सरलता से पूर्ण हो जाता है। . . C । ब्रह्मारण्य में कर्पूरतिलक नाम का हाथी रहता था। उसके हृष्ट-पुष्ट शरीर को देखकर सियार सोचो लगे कि यदि किसी उपाय से इसको मार दिया जाये तो इसके गरीर से काई मास का भोजन प्राप्त हो सकता है। कुछ समय पञ्चात् एक वृढे सियार ने प्रतिज्ञा की कि मैं उपायों द्वारा इस हाथी को मार डालूंगा। तत्पश्चात् वह सियार हाथी के पास गया और बोला सियार : महाराज, कृपया मेरी बात सुने ! हाथो : तू कौन है ? कहाँ से आया है ? सियार : महाराज, मै सियार हूँ। समस्त वनवासियो ने परस्पर सलाह करके मुझे आपके पास भेजा है और कहा है कि विना राजा के समस्त वनखण्ड हमें नहीं सुहाता । अतः . .