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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/३५

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हितोपदेश । आपको इस वन का राजा चुना जाये और आज ही राज्या- भिषेक कर दिया जाये। मैं आपसे नियत स्थान पर पधारने का अनुग्रह करने आया हूँ। लग्न का समय बहुत ही निकट है, अतः कृपया आप शीघ्र ही चलें। सियार की इन लोभ-भरी भोली-भाली बातों में आकर हाथी उठकर उसी समय सियार के साथ. भागा। मार्ग में वह बड़े गहरे दलदल में फंस गया। उसने दलदल से निकलने का बहुत प्रयत्न किया; पर जब न निकल सका तो सियार से बोला : मित्र, मै 'तो दलदल में फंस गया। अब बताओ क्या करना चाहिए ! गीदड़ हँसकर बोला : महाराज, मैं अब आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ। आप चाहे तो मेरी पूंछ पकड़ लें और दलदल से बाहर निकल आयें। X x x x इसीलिए चतुर मनुष्य को चाहिए कि जो कार्य बल से पूर्ण न हो सके उसे उपायों से पूर्ण करे । हिरण की बात सुनकर भी कछुए को धैर्य न हुआ और वह भयभीत होकर बिना विचारे सबके साथ पैदल ही चायलने लगा। उसी वन में कोई शिकारी शिकार की खोज में: ययूम रहा था। उसने कछुए को पृथ्वी पर चलता देखकर उठा लिया और अपने घर की राह ली। अपने मित्र को इस भांति मृत्यु के मुंह में जाते देख हिरण, कौए और चूहे को अत्यधिक संताप हुआ। वे लोग भी शिकारी और कछुए के पीछे-पीछे चलने लगे। ह चूहा सोचने लगा कि भाग्य की कैसी महिमा है। पहला