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राजपुत्रों ने विष्णुशर्मा को प्रणाम करके कहा . गुरुदेव ! हमने मैत्री के लाभ समझ लिये । अव कृपया आप हमे कोई दूसरा प्रसग सुनाइए। विष्णुगर्मा वोले : राजपुत्रो ! अब हम आप लोगों को मित्रों में भेद डालने वाली शेर, बैल और सियार की नीति- कथा सुनाते है। राजपुत्र बोले वह क्या कथा है गुरुदेव ! विष्णुशर्मा बोले सुनो- -