पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/४८

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सुहृद्भेद हूँ इसलिए बहुत दिनो से कोई चोरी नहीं हुई। आज यह मेरे उपकार भूल गया और भरपेट खाना भी नही देता। गधा क्रोध मे आकर वोला : मूर्ख ऐसा सेवक भी किस काम का, जो काम के समय स्वामी से मागना प्रारम्भ कर दे। तू समय पड़ने पर स्वामी-कार्य की उपेक्षा करता है । मै तो स्वामी का सच्चा सेवक हूँ। मै अपने स्वामी को अवश्य जगाऊँगा। यह कह गधे ने तार-स्वर से चिल्लाना शुरू किया। नीद खुल जाने के कारण स्वामी को गधे पर बहुत क्रोध आया। चोर तो भाग गए पर गधे को इतनी मार पड़ी कि वह अध- मरा हो गया। इसलिए कहते है अपने काम से काम रखो । दूसरे के काम मे दखल न दो। X x x x धोवी और गधे की कहानी सुनाकर करटक बोला : तभी तो मैं कहता हूँ कि हमें दूसरे के काम में हाथ नही डालना चाहिए। पिंगलक का अवशिष्ट भोजन तो हमे मिल • ही जाता है, फिर हम क्यों किसी बात की चिन्ता करे । दमनक • केवल भोजन ही तुम्हारे जीवन का लक्ष्य है। जिसका खाते हो, उसकी तुम्हें कुछ भी चिन्ता नही । करटक : हम कौन से पिगलक के प्रधान मन्त्री है। हम तो उप-प्रधान है। जब वह ही हमे नही पूछता तो हम ही क्यों उसकी चिंता करें? दमनक : तुम नहीं जानते करटक ! स्वामी, स्त्री, और