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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/४७

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३ अपने काम से काम पराधिकारचर्चा यः कुर्याद् स्वामिहितेच्छया, स विषीदति चीत्काराद्गर्दभस्ताडितो यथा। ३ . . स्वामी की भलाई की कामना से भी जो अन- धिकार चेप्टा करता है वह पिंटने वाले गधे की तरह दुखी होता है। . O . . बनारस में कर्पूरपटक नाम का धोवी रहता था। उसके पास एक गधा और एक कुत्ता था। दोनों उसके आँगन मे बँधे रहते । एक रात्रि को वह गाढ निद्रा में सो रहा था कि उसके घर में एक चोर आ गया । कुत्ता और गधा दोनों ने चोर को आते देखा, पर जब कुत्ता बोला ही नही तो गधा उसे फटकारते हुए बोला : मित्र, चोर आ गया और तुम चुपचाप आराम से बैठे हो । तुम्हे नही मालूम कि चोर के आने पर तुम्हारा पहला कर्तव्य है कि तुम शोर मचाकर स्वामी को जगा दो। कुत्ता बोला भाई तुम मेरे कर्त्तव्य की चिन्ता न करो। तुम्हें क्या मालूम नहीं, मै दिन-रात इसके घर की रक्षा करता ( ५२ )