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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/५६

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सुहृद्भेद ? दूर ही एक और खडा कर दिया और स्वयं पिगलक के पास गये। पिंगलक . मन्त्री, तुमने उसको देखा ? वह कौन था दमनक : हॉ, महाराज, हमने उसे देखा। जैसा आपने सोचा था वह वैसा ही निकला । पर आप शान्त-चित्त होकर बैठ जाये और मेरी बात सुने। केवल शब्द से ही भयभीत न हों क्योंकि गन्द-मात्र से ही नहीं डरना चाहिये। उसका कारण जानना चाहिये । कारण जानने पर कुट्टिनी को सम्मान प्राप्त हुआ था। पिंगलक . वह क्या कथा है दमनक : सुनो महाराज ! 7