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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/६०

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६ बिना विचारे जो करे प्रायः समापन्न विपत्ति काले, धियोऽपि पुंसां मलिना भवन्ति । . o C . विपत्ति के समय महात्माओ की बुद्धि भी मलिन हो जाती है। c . . एक समय सिंहलद्वीप मे वलशाली जीमूतवाहन नाम का राजा राज्य करता था। एक दिन किसी पोतस्थित वणिक के मुंह से उसने सुना कि चतुर्दशी के दिन समुद्र मे से एक कल्पवृक्ष प्रगट होता है, जिस पर रत्नों से जटित एक पलंग विछा रहता है। उसी पलंग पर अपनी कोमल उँगलियों से वीणा वजाती हुई एक कन्या दिखाई देती है। यह बात सुनकर जीमूतवाहन को महान् आश्चर्य हुआ। वह निर्दिष्ट स्थान पर पहुँचा । ठीक चतुर्दशी वाले दिन राजा ने भी वीणा बजाते हुए उस कन्या को देखा । वह कन्या आधी तो जलमग्न थी और आधी जल से बाहर । राजा के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। साहसी राजा ने कन्या तक पहुँचने की लालसा से समुद्र मे गोता लगाया । ( ६५ )