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मुहृभेद ७१ सर्प वाले गृह मे रहना मृत्यु का आह्वान करने के बरा- बर है। कौआ . तुम भय मत करो। अभी तक तो मैं उसके अप- राघो को क्षमा करता आया हूँ, पर इस बार मैं कभी भी क्षमा नहीं करने का। काकी हंसते हुए बोली : उससे आप लड़ेगे ? आपको नहीं मालूम सर्प कितना बलवान होता है। कौआ : ऐसी शंका करना व्यर्थ है। वुद्धिवल से बड़े-से- बड़े शत्रु पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है । यदि तुम्हे विश्वास न हो तो सुनो मैं तुम्हे सिंह और खरगोश की कहानी सुनाता हूँ। काकी : सुनाइए !