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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/६७

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अक्ल बड़ी कि भैंस बुद्धिर्यस्य बलं तस्य, निर्बुद्धस्तु कुतो वलं। . . o जिसके पास वुद्धिवल है वही बलवान है। अन्यथा बुद्धिहीन बल से क्या लाभ ? . . o . मन्दर पर्वत पर दुर्दान्त नाम का सिह रहता है। सारे पर्वत पर उसके समान कोई दूसरा बलवान् पशु नहीं था। इसलिए वह मनमाने ढंग से पशुओ को मारकर खा जाया करता था। जितने पशु वह खा सकता था उससे अधिक वह वध कर देता था। पशुओं की इस बेकार बलि को देखकर पर्वत के पशु भय से कॉप उठे। उन्होंने मन्त्रणा की और जाकर सिंह से निवेदन किया कि आप व्यर्थ मे ही इतने पशुओ की हत्या न किया करे। हम स्वयं आपकी सेवा मे एक पशु नित्य भेज दिया करेगे । उसी दिन से नियमानुसार एक-एक पशु नित्य सिह के पास उसके भोजन के लिए जाने लगा। कुछ समय बाद किसी बूढे खरगोश की वारी आई। वह सोचने लगा यदि मै सिंह से ( ७२ )