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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/८४

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२ मूर्ख को उपदेश उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये । . . मूखों को उपदेश देने से उनका क्रोध वडता ही है, गांत नही होता। नर्मदा नदी के तट पर एक बड़ा भारी सेमर का वृक्ष था। उस पर बहुत से पक्षी रहा करते थे। वर्षा ऋतु में एक दिन मूसलाधार पानी बरसने लगा। सब पक्षी अपने-अपने घोंसलों में बैठ गये । बन्दर भी अपने-अपने झुण्ड बनाकर वृक्षो की छाया की ओर दौड़े। बहुत से बन्दर सेमर के वृक्ष के नीचे आकर बैठ गये। वर्षा के साथ-साथ वायु भी चलने लगी। शीत के कारण वृक्ष के नीचे बैठे वन्दर कांपने लगे। उन्हें इस भांति आपत्ति- ग्रस्त देखकर सेमर वृक्ष पर रहनेवाले पक्षी उन्हे समझाते हुए बोले: भाई वानरो! वर्षा समय की इस सर्दी से तुम शिक्षा लो। तुम हमारी ओर देखो, हमारे तो हाथ भी नही हैं । वस केवल ( ८९ )