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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/८९

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४ बड़े का नाम, छोटे का काम व्यपदेशेऽपि सिद्धिःस्यादतिशक्ते नराधिप । . . शक्तिमान् राजा के नाम से ही दुप्कर कार्य भी सिद्ध हो जाता है। . एक बार वर्षा न होने के कारण सुदीर्घ नाम का वन सूख- सा गया। वन के निवासी बिलखने लगे। छोटे-छोटे तालाव तो सूखकर मैदान हो गये। प्यासे पशुओं और पक्षियों के झुण्ड- के-झुण्ड इधर-उधर प्यास से भागते दिखाई पड़ते । वन में रहनेवाले हाथी भी बेचैन हो गये और एक झुण्ड बनाकर अपने राजा विशालकर्ण के पास गये और वोले: महाराज! हम प्यास से मरे जा रहे है। नहाने के लिए जल नही मिलता। विना नहाये तो हमारा जीवन ही बीतना कठिन हो रहा है। विशालकर्ण भी चिन्तित हो गया। उसने बड़े प्रयल से उन्हें शोर मचाने से रोका । और बोला : आप लोग चिन्ता न करें । मै इस विषय में पहले से ही . ( ९४ )