का हमारा अभिप्राय केवल यह है कि एक भ्रांत धारणा का, जिसका उल्लेख ऊपर हो चुका है, निराकरए हो जाय । हम यह भी स्पष्ट कर देते हैं कि उक्त ट्रस्ट से डा० बड़थ्वाल के परिवार को किसी प्रकार की कोई भी आर्थिक सहायता नहीं मिली यद्यपि वह उस समय अत्यंत आर्थिक संकट में था। उस गाढ़े अवसर पर तो डा० बड़थ्वाल के बाल्यसखा उनके मामा के पुत्र--श्री महेशानन्द जी थपल्याल ही ऐसे व्यक्ति थे जो उनके काम आये । इस प्रकार प्रस्तुत प्रकाशन का उक्त ट्रस्ट से कोई सम्बन्ध नहीं । हमारा यह प्रयत्न है कि धीरे-धीरे डा० बड़थ्वाल की समस्त रचनाएँ सुसंपादित होकर निकल जायें, जिससे उनकी नवीन सामग्री और विचारों से साहित्यिक, साहित्यकार और विद्यार्थी लाभ उठा सकें। प्राशा है हम लोगों की इस योजना का सभी लोग स्वागत करेंगे। रवर्गीय डाक्टर बड़थ्वाल के परिवार की प्रोर मे- दौलतराम जुयाल "साहित्यान्वेषक" ( काशी नागरीप्रचारिणी सभा)
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