हिन्दी काव्य में निर्गुण संप्रदाय जाते हैं । यद्यपि कहा जाता है कि उन्होंने किसी गुरु से दीक्षा नहीं ली फिर भी इसमें कोई सन्देह नहीं कि उनके ऊपर तुलसी साहब का पूर्ण प्रभाव पड़ा था । कहते है कि उनके जन्म के पहले ही तुलसी साहब ने उनके अवतार की भविष्यवाणी कर दी थी । तुलसी की मृत्यु के उपरांत : उनके प्रायः सब शिष्य शिवदयालजी के पास खिंच श्राए । राधास्वामी संप्रदाय की प्रमुख शाखाएँ आजकल आगरा, इलाहाबाद और काशी, श्रादि स्थानों में हैं। संप्रदाय बहुत सुन्दर रूप से गठित है और बड़े. उपयोगी कार्य कर रहा है। दयालबाग़ आगरे में उनका विद्यालय एक अत्यन्त उपयोगी संस्था है जो सांप्रदायिक ही नहीं राष्ट्रीय दृष्टि से भी महत्व पूर्ण है। स्वामीजी महाराज के शिष्य रायबहादुर शालिग्राम ने, जो इलाहाबाद में पोस्ट मास्टर-जनरल थे और संप्रदाय में हुजूर साहब के नाम से प्रसिद्ध हैं, संप्रदाय को दृढ़ भित्ति पर रखने के लिये बहुत काम किया । परन्तु इस मत के सबसे बड़े व्याख्याता पं० ब्रह्मशंकर मिश्र (महाराज साहब ) हुए हैं जिन्होंने अँगरेज़ी में ए.डिस्कोर्स ऑन राधास्वामी सेक्ट नामक ग्रन्थ लिखा है । हुजूर साहब ने भी अँगरेजी में राधास्वामी मत प्रकाश नामक पुस्तक लिखी। स्वामीजी महाराज की प्रधान पद्य-रचना सारवचन है। इसका गद्य सार भी मिलता है। हुजूर साहब का प्रधान ग्रन्थ मबानी है। जुगतप्रकाश नामक उनका एक गद्य ग्रन्थ और भी है। Ivanam-
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