पृष्ठ:हिन्दी काव्य में निर्गुण संप्रदाय.djvu/४८५

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परिशिष्ट जी० ए० जेकब-'कंकाडेंस टु दि प्रिंसिपल उपनिषद्स एन्ड दि भगवद्गीता'। दासगुप्त-हिस्ट्री आफ इण्डियन फिलासफ़ी' । गोरखनाथ–'गोरक्ष पद्धति' ( गोरक्षशतक के परिवद्धित संस्करण का पं० महीधर शर्मा द्वारा संपादित रूप )। 'लययोग संहितातंत्र'--(अधूरा संस्करण जो बनारस के चौखम्बा से निकला हैं )। एफ० जे० सी० फुलर-'योग' । ए० ऐवलन-'दि सर्पेण्ट पावर'। शहीदुल्ला-'ले शांत्स मिस्तीक्स' । एच० डब्ल्यू. क्लार्क--'अवारिफुल मारिफ' (अंग्रेजी संस्करण) खजाखाँ-तसव्वुफ' । निकोल्सन-'मिस्टिसिज्म अाफ़ इस्लाम' । जे. एम० के० स्टुअर्ट-क्रिटिकल एक्सपोजिशन अाफ़ वर्सीज़ फिलासफी' । वैल्वेट्स्को-'वायस आफ साइलेंस' । रहस्यवाद के साहित्यिक अंग को समझने में नीचे लिखी पुस्तकें उपयोगी सिद्ध हुई हैं- मम्मट-काव्य प्रकाश'। अईि० ए० रिचस---'प्रिंसिपिल्स आफ़ लिटरेरी क्रिटिसिज्म' । जयगोपाल बनर्जी-'कलकत्ता रिव्यू' में प्रकाशित यीट्स सम्बन्धी लेखमाला और विशेषतः 'यीट्स, हिज सिम्बालिज्म' । स्पर्जन-'मिस्टिसिज्म इन इंगलिश लिटरेचर' । संतों में से किसी एक की भी ऐसी जीवनी चा जीवनियाँ उपलब्ध