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पृष्ठ:हिन्दी भाषा की उत्पत्ति.djvu/७०

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छठा अध्याय
उपसंहार

आज तक कुछ लोगों का ख़याल था कि हिन्दी की जननी संस्कृत है। यह बात भारत की भाषाओं की खोज से ग़लत साबित हो गई। जो उद्गमस्थान परिमार्जित संस्कृत का है, हिन्दी जिन भाषाओं से निकली है उनका भी वही है। इस बात को सुनकर बहुतों को आश्चर्य होगा। सम्भव है उन्हें यह बात ठीक न जँचे, पर जब तक इसके ख़िलाफ़ कोई सबूत न दिये जायँ, तब तक इस सिद्धान्त को मानना ही पड़ेगा।

बिहारी भाषा

भाषाओं की जाँच से एक और भी नई बात मालूम हुई है। वह यह है कि बिहारी भाषा यद्यपि हिन्दी से बहुत कुछ मिलती-जुलती है तथापि वह उसकी शाखा नहीं। वह बँगला से अधिक सम्बन्ध रखती है, हिन्दी से कम। इसी से बिहारियों की गिनती हिन्दी बोलनेवालों में नहीं की गई। उसे एक निराली भाषा मानना पड़ा है। वह पूर्वी उपशाखा के अन्तर्गत है और बँगला, उड़िया और आसामी की बहन है। पूर्वी हिन्दी और बिहारी की डाँड़ा-मेड़ी है, पर पूर्वी हिन्दी की तरह वह अर्द्ध-मागध अपभ्रंश से नहीं निकली। वह पुराने मागध अपभ्रंश से उत्पन्न हुई है। बँगला देश के वासी 'स' को 'श' उच्चारण करते हैं। बिहारियों को भी ऐसा ही उच्चारण करना चाहिए था; क्योंकि उनकी