भाषा का उत्पत्ति-स्थान वही है जो बंगालियों की भाषा का है। पर बिहारी ऐसा नहीं करते। इससे उनकी भाषा की उत्पत्ति के विषय में सन्देह नहीं करना चाहिए। पूर्वी हिन्दी बोलनेवालों से बिहारियों का अधिक सम्पर्क रहा है और अब भी है। बिहारियों की भाषा यद्यपि बँगला की बहन है तथापि बँगला की अपेक्षा संयुक्त प्रान्त से हो उनका हेल-मेल अधिक रहा है। इसी से उच्चारण-सम्बन्धी बंगालियों की 'श' वाली विशेषता बिहारियों की बोली से धीरे-धीरे जाती रही है। यद्यपि बिहारी 'स' को 'श' नहीं उच्चारण करते, तथापि 'स' को 'श' वे लिखते अब तक हैं। अब तक उनकी यह आदत नहीं छूटी।
बिहारी भाषा के अन्तर्गत पाँच बोलियाँ हैं। उनके नाम और बोलनेवालों की संख्या नीचे दी जाती है :—
मैथिली | १०, ३८७, ८९८ |
मगही | ६, ५८४, ४९७ |
भुजपुरी | १७, ३६७, ०७८ |
पूर्वी | २३६, २५९ |
अज्ञातनाम | ४, ११२ |
३४, ५७९, ८४४
इस भाषा में विद्यापति ठाकुर बहुत प्रसिद्ध कवि हुए। और भी कितने ही कवि हुए हैं जिन्होंने नाटक और काव्यग्रन्थों की रचना की है।
बिहारियों की प्रधान लिपि कैथी है।